सीएम शिवराज के करीबी गुरूप्रसाद शर्मा पर फायरिंग, भाजपा नेता बाल-बाल बचे

Gaurav Sharma
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सीहोर, अनुराग शर्मा। जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। दरअसल, वन विकास निगम के अध्यक्ष गुरूप्रसाद शर्मा (guruprasad sharma) पर फायरिंग (firing) की गई है। यह घटना उस समय हुई जब गुरूप्रसाद शर्मा सुबह घर के बाहर बैठे थे। इस वारदात में गुरूप्रसाद शर्मा बाल-बाल बच गए हैं। वहीं घटना के आरोपी युवक को लोगों ने पकड़कर पीट दिया।

यह घटना मंडी गांव में घटित हुई है। जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया है। गोली चलने की वारदात CCTV  में भी कैद हुई है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बिल्कुल खास माने जाने वाले भाजपा नेता (bjp leader) एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त पंडित गुरूप्रसाद शर्मा पर मंगलवार की सुबह लगभग साढे सात बजे जानलेवा हमला हुआ। पं. शर्मा हमलावर का निशाना चूकने से बाल बाल बच गए। पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी धटना स्थल पर सूचना मिलते ही तत्काल पहुंचे, उनके निवास स्थान ग्राम मंडी में गुरूप्रसाद शर्मा के घर पर आकर आरोपी ने गोली चलाई थी। आरोपी को पुलिस हिरासत में ले लिया गया हैं ।

वहीं पूरे मामले को लेकर एसडीओपी प्रकाश मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी कौशिक मेहरा उम्र 19 साल पिता रामराज मेहरा निवासी अशोका गार्डन भोपाल का होना बता रहा है। प्रारंभिक पूछताछ में युवक सक्रिय राजनीति में आना चाहता है और अपनी प्रसिद्धि के लिए उसने इस घटना को करना बताया हैं।  मौके पर सीहोर कलेक्टर अजय गुप्ता, एसपी एसएस चौहान सहित एसडीएम नसरुल्लागंज तहसीलदार और भाजपा के तमाम वरिष्ठ नेता व कार्यकर्ता मौजूद पहुंचे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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