गुना में वन विभाग ने सागौन लकड़ी की तस्करी को किया नाकाम, 7 लाख की 70 सिल्लियां जप्त, तस्कर फरार

Amit Sengar
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Guna Smuggling of Teak Wood : गुना जिले में सागवान तस्करी के लिए कुख्यात हो चुके चांचौड़ा-बीनागंज वन परिक्षेत्र के कुंभराज में एक बार फिर तस्करों से वन विभाग की टीम का आमना-सामना हुआ है। हालांकि वन विभाग की टीम को सभी तस्कर भागने में सफल रहे। फॉरेस्ट टीम की इस कार्रवाई के दौरान सागवान की 70 सिल्लियां और 6 मोटरसाइकिल बरामद की गई हैं।

जानकारी सामने आई है कि वन विभाग को कुंभराज क्षेत्र के किरवाड़ा रोड से सागवान तस्करों के निकलने की सूचना मिली थी। शुक्रवार-शनिवार रात लगभग साढ़े 3 बजे वन विभाग की टीम मौके पर नाकेबंद कर तैनात हो गई। लेकिन किसी तरह तस्करों को नाकेबंदी की सूचना मिली और उन्होंने रास्ता बदलते हुए बटावदा की ओर से मनोहर थाना तक जाने की योजना बना ली। तस्करों द्वारा रास्ता बदलने की जानकारी मुखबिर के जरिए वन परिक्षेत्र अधिकारी सौरभ द्विवेदी को मिल चुकी थी। जिन्होंने अपनी टीम के साथ तुरंत प्वाइंट बदलते हुए बटावदा रोड पर आमद दर्ज कराई और तस्करों से वन विभाग की टीम का आमना-सामना हो गया।

सागौन तस्करों से हुआ आमना-सामना

वन विभाग की टीम को देखते हुए सभी तस्कर अपनी मोटरसाइकिल और उस पर लादकर रखी गईं 70 सिल्लियां छोड़कर भाग गए। पूर्व की घटनाओं से सबक लेकर इस बार वन विभाग की टीम ने तस्करों से आमना-सामना होते ही सुरक्षा की दृष्टि से हवाई फायर किए। लेकिन आत्मसमर्पण करने की बजाए तस्कर भागने में सफल हो गए। बाद में विभाग ने सिल्लियों की गिनती की और जब्त मोटरसाइकिल की कीमत का अनुमान भी लगाया है। जब्त सागवान और मोटरसाइकिलों की कीमत लगभग 7 लाख रुपए आंकी गई है। इस तरह गुना जिले से राजस्थान की ओर सागवान तस्करी का एक बड़ा प्रयास वन विभाग की तत्परता से असफल कर दिया गया।
गुना से संदीप दीक्षित की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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