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Fri, Dec 19, 2025

पूर्व तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव को जानकारी नहीं देना पड़ा भारी, जानें पूरा मामला

Written by:Amit Sengar
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पूर्व तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव को जानकारी नहीं देना पड़ा भारी, जानें पूरा मामला

Guna News : गुना जिले के ग्रामीण क्षेत्र में एक महिला के मकान तोड़ने की कार्रवाई की जानकारी नहीं देना पूर्व तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव को महंगा पड़ गया। तहसीलदार ने ना तो राजस्व के नियम के तहत और ना ही आरटीआई आवेदन में मांगी जानकारी दी। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव के विरुद्ध ₹25000 का जुर्माना लगाया है। श्रीवास्तव वर्तमान में खरगोन में पदस्थ हैं।

क्या है पूरा मामला

गुना के मालपुर रोड ग्रामीण इलाके की सखी बाई ने RTI आवेदन मार्च 2021 मे दायर कर अपने पति के नाम से दर्ज मकान तोड़ने की कार्रवाई की जानकारी तहसील कार्यालय गुना से मांगी थी। सखी बाई ने आयोग को बताया कि मकान तोड़ने पर जुर्माने की ₹5000 की रसीद उनके नाम पर बनाई गई जबकि मकान उनके पति के नाम पर था और उन्हें कोई नोटिस भी नहीं मिला था। सखी बाई ने आयोग के समक्ष यह भी आरोप लगाया कि तहसील कार्यालय ने उनसे ₹3,00,000 रिश्वत ली थी। सूचना आयोग ने सखी बाई को सलाह दी कि अगर उनके पास कोई रिश्वत लेने का प्रमाण है तो वह प्रमाण के साथ लोकायुक्त जैसी भ्रष्टाचार निरोधक संस्था में शिकायत दर्ज करके कार्रवाई करवाने के लिए स्वतंत्र हैं। आयोग के आदेश के बाद गुना के वर्तमान तहसीलदार ने सखी बाई को जानकारी उपलब्ध करा दी है।

पूर्व तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव ने सखी बाई को आरटीआई आवेदन में जानकारी यह कहते हुए नहीं दी कि वह राजस्व के नियम के तहत आवेदन देकर नकल प्राप्त करे। सखी बाई ने संदीप श्रीवास्तव के कहे अनुसार तहसील कार्यालय में बाकायदा नकल के लिए एक और आवेदन दायर किया लेकिन उसके बावजूद और पैसे भी जमा किए लेकिन इसके बावजूद तहसील कार्यालय में उन्हें जानकारी उपलब्ध नहीं कराई इसके बाद सखी बाई ने एक स्मरण पत्र भी संदीप श्रीवास्तव को लिखा कि उनके द्वारा RTI आवेदन में भी जानकारी मांगी गई और राजस्व विभाग के नियम के तहत भी नकल हेतु आवेदन दिया गया लेकिन उन्हें जानकारी प्राप्त नहीं हुई है और इसीलिए जानकारी उन्हें दिलाई जाए। लेकिन इस पत्र के बावजूद तहसीलदार संदीप श्रीवास्तव ने सखी बाई को जानकारी नहीं दी।

State Information Commission

आयोग ने नहीं खारिज की तहसीलदार की दलील

आयोग ने संदीप श्रीवास्तव को ₹25000 जुर्माने का कारण बताओं नोटिस जारी किया तो संदीप श्रीवास्तव ने राजस्व के नियम के साथ कई कोर्ट आर्डर का हवाला देते हुए आयोग को जवाब दिया उनके कार्यालय में आरटीआई अधिनियम के तहत नकल देना प्रभावी नहीं होगा क्योंकि वहां राजस्व के नियम के तहत पहले सी नकल देने की व्यवस्था है एवं पूर्व में आवेदिका को नकल दी जा चुकी है। आयोग के समक्ष सुनवाई में सखी बाईं ने इनकार किया कि उन्हें किसी भी तरह की कोई नकल संदीप श्रीवास्तव द्वारा उपलब्ध नहीं कराई गई थी। वहीं संदीप श्रीवास्तव इस बात का कोई सबूत भी आयोग के सामने नहीं रख पाए की विभाग के नियम के तहत उन्होंने कोई नकल सखी बाईं को उपलब्ध कराई थी।

सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने संदीप श्रीवास्तव द्वारा दिए दलील को खारिज कर दिया। सिंह ने कहा कि अन्य कोर्ट के ऑर्डर इस प्रकरण विशेष में लागू नहीं होते हैं क्योंकि अधिकारी विभाग के नियम के तहत भी नकल नहीं दे रहे हैं और आरटीआई आवेदन में भी नकल नहीं दे रहे हैं, आखिर आम आदमी जानकारी के लिए कहा जाए। सिंह में आदेश में कहा कि ऐसी स्थिति में सूचना का अधिकार अधिनियम जानकारी हो नकल देने की अन्य नियम और कानून पर अध्यारोही प्रभाव भी रखता है। सिंह ने कहा कि अगर अधिकारी विभाग में विभाग के नियम के तहत भी नकल ना दे और आते आवेदन में भी नकल ना दे ऐसे में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी देने की प्रासंगिकता ही खत्म हो जाएगी।