सांसद डॉ केपी यादव का फिर हुआ अपमान, शिलालेख पट्टीका से नाम गायब

Gaurav Sharma
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गुना, विजय कुमार जोगी ।बमोरी विधानसभा का उपचुनाव 3 नवंबर को होना है जिसकी आचार संहिता भी लागू हो गई है। इससे पूर्व बमोरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम भदौरा में दो सड़कों का भूमि पूजन हुआ जिसकी शिलालेख पट्टिका पर एक बार फिर गुना शिवपुरी सांसद डॉक्टर कृष्ण पाल सिंह यादव का नाम राजनीति के चलते फिर से गायब करवा दिया, बार-बार अपने सांसद का अपमान होने से उनके समर्थकों के साथ अब यादव समुदाय भारी रोष में आ गया है और बमोरी उपचुनाव में मंत्री सिसोदिया को सबक सिखाने को अब पूरी तरह कमर कस कर तैयार बैठा है।

बार बार सांसद केपी का अपमान

पूर्व में भी जमरा गांव में शिलान्यास के दौरान सांसद का नाम शिलालेख पट्टीका पर नहीं था। विरोध बढ़ने पर नाम बढ़ाया गया लेकिन अब एक बार फिर से जानबूझकर सिंधिया समर्थकों ने सांसद केपी यादव का नाम कटवाया,जबकि शिलालेख पट्टीका पर पंचायत मंत्री के अलावा जिला अध्यक्ष गजेंद्र सिंह सिकरवार गुना विधायक गोपीलाल जाटव सहित सरपंच सचिव के नाम तक दर्ज थे। सांसद का अपमान करने के उद्देश्य जानबूझकर उनका नाम शिलालेख पट्टीका में नहीं लिखा, जिससे सांसद के समर्थक बार यादव समुदाय में भारी रोष देखा जा रहा है।

सांसद के अपमान से आहत समर्थक

अपने सांसद के अपमान से आहत समर्थक व यादव समुदाय अब एकदम खुलकर विरोध के स्वर उठाने लगा है। समर्थकों व समाज बंधुओं का कहना है कि बमोरी विधानसभा उपचुनाव में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को करारी शिकस्त देने के लिए अब हमने रणनीति बना ली है जिसके तहत यादव समुदाय के अलावा हमारे अन्य मिलने जुलने वालों से भी सिंधिया समर्थक मंत्री सिसोदिया को वोट न देने की अपील गांव-गांव जाकर की जाएगी। साथ ही सिसोदिया द्वारा वन भूमि पर कराए जा रहे अवैध अतिक्रमण गुंडागर्दी जनपद के कार्यों में गोलमाल घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग आदि मुद्दों को उठाया जाकर निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी। साथ ही संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में मंत्री का खुलकर विरोध शुरू हो गया है। पूर्व में मंत्री द्वारा यादव समुदाय के कद्दावर नेताओं को इकट्ठा कर समाज बंधुओं को मक्खन लगाने का प्रयास किया लेकिन अब एक बार फिर से अपने सांसद का अपमान होते देख समर्थक सहन नहीं कर पाए,वहीं समाज बंधुओं ने भी मंत्री सिसोदिया को धूल चटाने का मन बना लिया है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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