गुना,संदीप दीक्षित। हाईवे के फोरलेन (forelane highway) में अपनी जमीन गंवाने वाले दर्जनों आदिवासी समुदाय (tribal communities) के लोग वर्षों बाद भी दर-दर की ठोंकरे खा रहे है। फोरलेन के लिए इनकी जमीन तो ले ली गई लेकिन न तो इन्हें ठीक से मुआवजा मिला और न ही रहने के लिए जमीन। जबकि मजेदार बात यह है कि ग्राम पंचायत से इनकी पीएम आवास कुटीरें स्वीकृति हो गई। अब सरपंच-सचिव कह रहे हैं कोई प्लॉट लेकर बना लो।
दरअसल मंगलवार को कर्माखेड़ी रुठियाई वार्ड क्रमांक 23 की दर्जनों आदिवासी महिलाएं अपनी समस्या लेकर कलेक्टोरेट पहुंची। यहां उन्होंने कलेक्टर को दिए आवेदन में बताया कि नेशनल हाईवे फोर लाइन बनाई गई थी उस समय हमारी जमीन उसमें चली गई थी। हमको रहने के लिए कोई भी स्थाई निवास नहीं है। तभी वह लोग इधर उधर जगह-जगह रह रहे हैं। अब वह अपना स्थाई निवास चाहते हैं।
पीडि़त शिवराज अहिरवार का कहना है कि प्रधानमंत्री आवास योजना भी हमको नहीं मिली है, लेकिन नाम आ गया है। ज्ञापन में ग्रामीणों ने मांग की कि उनके वार्ड में एक डेढ़ बीघा की सरकारी जमीन पड़ी हुई है। पास में वहां पर स्कूल बन चुका है। उनकी मांग है कि जो जमीन सरकारी पड़ी है उस पर हमारा स्थाई निवास बनाने की अनुमति दी जाए। अभी वहां बड़े लोगों ने कब्जा कर लिया है।
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Amit Sengar
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वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”