अच्छे चाल चलन का मिला इनाम, गणतंत्र दिवस पर 16 बंदी ग्वालियर सेन्ट्रल जेल से रिहा, बोले – अब अपराध से तौबा

रिहा हुए के बंदी ने कहा कि मैं किसान हूँ , खेती किसानी को लेकर ही मेरा झगड़ा हुआ था, सामने वाले ने मुझपर वार किया तो मैंने गोली मार दी थी, मैंने 14 साल की सजा भुगती है, लेकिन आब बाहर आकर परिवार के साथ रहूँगा, उसने कहा कि आनंद बाहर है वो जेल में नहीं है।

Gwalior Central Jail

Gwalior Central Jail prisoner released : इस बार का गणतंत्र दिवस ग्वालियर सेन्ट्रल जेल में सजा काट रहे 16 बंदियों के लिए खुशियां  लेकर आया, बंदियों के अच्छे चाल चलन को देखते हुए शासन के नियमानुसार बंदियों को रिहा किया गया, जिन बंदियों को रिहा किया गया वे सभी हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।

अच्छे चाल चलन का मिला इनाम, गणतंत्र दिवस पर 16 बंदी ग्वालियर सेन्ट्रल जेल से रिहा, बोले - अब अपराध से तौबा

गणतंत्र दिवस पर 16 बंदियों को मिली रिहाई  

ग्वालियर सेन्ट्रल जेल में आज आलग ही माहौल था, 75 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर जेल में झंडा फहराया गया और उन्हें मिठाई खिलाई गई, कार्यक्रम के बाद 16 बंदियों को खुली हवा में साँस लेने का तोहफा मिला, जेल प्रशासन ने शासन के नियमों के तहत उन्हें रिहाई का प्रमाणपत्र  सौंपा और जेल से रिहा कर दिया।

हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे थे बंदी 

जेल अधीक्षक विदित सरवैया ने बताया कि जिन बंदियों को रिहा किया गया है वे सभी धारा 302 (हत्या का अपराध ) के तहत आजीवन कारावास की सजा काट रह थे, उन्होंने 14 साल की सजा पूरी कर ली थी , दो बंदी ऐसे थे जिन्होंने 15 साल की सजा भी काटी, इन्हें नियमानुसार 6 वर्ष की छूट मिली है, इन्हें समझाइश दी गई है कि अब समाज में अच्छे से जीवन जिये, सभी ने अपराध से तौबा करने का वचन दिया है ।

रिहा हुआ बंदी बोला- जो आनंद बाहर है वो जेल में कहाँ?

उधर रिहा हुए के बंदी ने कहा कि मैं किसान हूँ , खेती किसानी को लेकर ही मेरा झगड़ा हुआ था, सामने वाले ने मुझपर वार किया तो मैंने गोली मार दी थी, मैंने 14 साल की सजा भुगती है, लेकिन आब बाहर आकर परिवार के साथ रहूँगा, उसने कहा कि आनंद बाहर है वो जेल में नहीं है।

रिहा हुए बंदी ने कहा कि मैंने बिना अपराध के सजा भुगती 

एक अन्य रिहा बंदी ने कहा कि उसे बिना अपराध के ही 14 साल से ज्यादा की सजा भुगतनी पड़ी, उसने कहा कि वो वकील है पिछोर जिला शिवपुरी में प्रेक्टिस करता था एक शादी समारोह में किसी ने हर्ष फायर किया जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और लोगों ने उसे फंसा दिया , उसने तो बिना दोष के सजा भुगती है।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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