ग्वालियर। बाल कल्याण समिति ने ग्वालियर के तीन थाना प्रभारियों को नाबालिग बच्चों को 24 घंटे से अधिक थाने में बैठाने के मामले में नोटिस जारी किये हैं। नोटिस में बाल कल्याण समिति (CWC ) ने इसे किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन माना है। CWC ने शहर के कंपू, महिला थाना और थाटीपुर थाना प्रभारियों को नोटिस जारी किये हैं और तीन दिन में स्पष्टीकरण माँगा है।
बाल कल्याण समिति ने दो अलग अलग मामलों में तीनों थाना प्रभारियों को नोटिस जारी किये हैं। समिति के अनुसार गुना में रहने वाली 16 साल की नाबालिग लड़की अपने माता पिता के रोज रोज के झगड़ों से परेशान होकर बिना बताये ग्वालियर आ गई थी। लड़की के गुना से गायब पर माता पिता ने पुलिस थाने में गुमशुदगी कराई। लड़की ग्वालियर में अपनी सहेली के साथ रहने लगी। माता पिता को जब मालूम पड़ा तो उन्होंने ग्वालियर की कंपू थाना पुलिस से संपर्क किया। पुलिस लड़की को थाने ले आई लेकिन लड़की ने माता पिता के साथ जाने से इंकार कर दिया। कंपू पुलिस दिनभर नाबालिग को थाने में बैठाई रही और फिर शाम को महिला थाने भेज दिया। दूसरे दिन सुबह महिला थाना पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। वहां 164 के तहत बयान दर्ज हुए लेकिन लड़की के सम्बन्ध कोई निर्देश नहीं दिए। लिहाजा तीसरे दिन पुलिस लड़की को एडीएम के पास लेकर पहुंची। जहाँ से उसे महिला एवं बाल विकास विभाग और बाल कल्याण समिति के पास भेज दिया गया। इसी तरह ग्वालियर आया एक 12 साल का नाबालिग अपनी मां से बिछड़ गया। पुलिस बच्चे को थाटीपुर थाने ले आई। उसने तीन दिनों तक बच्चे को थाने में रखा। और उसके बाद नाबालिग बाल कल्याण समिति के पास पहुँच पाया। मामले को गंभीर मानते हुए बाल कल्याण समिति ने तीनों
क्या है नियम
किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार लावारिस बच्चों के मिलने पर 24 घंटे के अंदर उन्हें बाल कल्याण समिति को सौंपा जान जरूरी है। विशेष परिस्थिति के कारण यदि ये संभव नहीं हो पाता है तो बच्चों के बारे में समिति को सूचना देना जरूरी होता है और यदि ऐसा नहीं होता है तो ये किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन माना जाता है।