ग्वालियर । लोकसभा 2019 में ग्वालियर की सीट किसके खाते में जाएगी ये तो कोई नहीं जानता लेकिन उम्मीदवारी को लेकर जिस तरह से भाजपा और कांग्रेस में असमंजस है उसने ग्वालियर सीट को हाईप्रोफाइल बना दिया है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना जाने के बाद से भाजपा दूसरा मजबूत और जिताऊ प्रत्याशी तलाश रही है तो प्रियदर्शिनी राजे का नाम प्रस्तावित कराकर सांसद ज्यातिरादित्य सिंधिया ने नया दांव चल दिया है । दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के प्रत्याशी के नाम का इंतजार कर रहीं है, इसलिए नाम का खुलासा नहीं कर रहीं।
नरेंद्र सिंह तोमर के मुरैना जाने के बाद से भाजपा में कई नाम सामने आए, इनमें पूर्व मंत्री माया सिंह, पूर्व साडा अध्यक्ष जय सिंह कुशवाह, डा. नरोत्तम मिश्रा के नाम शामिल हैं । पार्टी ने जो पैनल बनाए उसमें मुरैना सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा का नाम किसी भी सीट से नहीं था । उसके बाद अनूप मिश्रा सक्रिय हुए तो चर्चा चल निकली कि ग्वालियर से वो भी संभावित उम्मीदवार हो सकते हैं उधर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ महापौर विवेक नारायण शेजवलकर को टिकट देना चाहता है । महापौर श्री शेजवलकर की पिछले कुछ दिनों की सक्रियता पर नजर दौड़ाएं तो पार्टी से जुड़े लोग बताते हैं कि संघ के संकेत के बाद ही महापौर ने पिछले दिनों “आज की चाय आप के द्वार” कार्यक्रम शुरु किया जिसमें वो रोज सुबह आठ बजे किसी एक वार्ड में निगम अधिकारियों के साथ जाते, जनता की समस्या को सुनते और उसके निराकरण के निर्देश देते। इस कार्यक्रम के बहाने महापौर ने जनता से चुनाव से पहले सीधा संवाद कर लिया। हालांकि ग्वालियर से भाजपा किसको टिकट देगी ये तय नहीं है लेकिन सूत्रों पर भरोसा करें तो सोमवार को भोपाल में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में ग्वालियर के लिए केवल विवेक नारायण शेजवलकर के नाम की चर्चा हुई है । ये बात अलग है कि कांग्रेस यदि प्रयदर्शिनी को ग्वालियर से टिकट देती है तो सबसे मजबूत नां सिर्फ एक हो सकता है और वो है पूर्व मंत्री और कट्टर महल विरोधी नेता जयभान सिंह पवैया का । हालांकि पवैया पार्टी आलाकमान के सामने चुनाव ना लड़कर संगठन में ही काम करने की इच्छा जता चुके है लेकिन पवैया को जानने वाले लोग जानते हैं कि यदि महल के खिलाफ लड़ने की बात आएगी तो पवैया तैयार हो जाएंगे । गौरतलब है कि पवैया एक बार ग्वालियर सीट से सांसद भी रह चुके हैं ।
उधर कांग्रेस में भी नाम को लेकर संशय बरकरार है। सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, राहुल अजय सिंह, अरुण यादव सहित कांग्रेस का अधिकांश नेता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह के समर्थन में हैं लेकिन इस नाम पर अभी तक सिंधिया की रजामंदी नहीं मिल पाई है। बल्कि दो रोज पहले ही शहर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा अपनी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे के नाम का प्रस्ताव पास कराकर सिंधिया नया दांव खेल चुके हैं । दरअसल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से कांग्रेस में उत्साह है जिस तरह से सिंधिया ने पूरे प्रदेश में कांग्रेस के लिए माहौल बनाया है उसके बाद से उनके समर्थक ये मानते हैं कि इस बार ग्वालियर सीट कांग्रेस के खाते में आ जाएगी । अब यदि अशोक सिंह चुनाव लड़े और जीत गए तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जो भीड़ महल गेट पर लगती थी वो गांधीरोड स्थित अशोक सिंह की कोठी की तरफ मुड़ जाएगी जो सिंधिया बिलकुल नहीं चाहेंगे । दूसरा उन्हें 2024 लोकसभा के लिए बेटे महाआर्यमन सिंधिया के लिए भी जमीन मजबूत करनी है यदि अशोक सिंह जीते तो क्या वे महाआर्यमन के लिए सीट छोड़ेंगे ? और ये तभी संभव है जब प्रियदर्शिनी राजे ग्वालियर से चुनाव लड़े और जीतें । सिंधिया के सामने संकट ये भी है कि यदि ग्वालियर से प्रियदर्शिनी को लड़ाया तो उन्हें गुना के साथ साथ ग्वालियर पर भी ध्यान देना पड़ेगा जबकि उत्तरप्रदेश की जिम्मेदारी पार्टी पहले ही उनके कंधों पर डाल चुकी है। बहरहाल दोनों ही पार्टियां एक दूसरे के उम्मीदवार के नाम की घोषणा के इंतजार में हैं ।