अतुल सक्सेना/ग्वालियर। सेंट्रल जेल ग्वालियर का माहौल इन दिनों बदला बदला सा है। यहाँ आध्यात्म की बयार बह रही है। अवसर है भागवत कथा के आयोजन का । 21फरवरी तक चलने वाले इस आयोजन में रोज 1 बजे से 4 बजे तक भागवत कथा का वाचन होगा। और फिर प्रसाद वितरण होगा। 22 फरवरी को बंदियों के लिए भंडारे का आयोजन होगा। आयोजकों का मानना है कि भागवत हमें सदमार्गी तो बनाती ही है साथ ही हमारे जीवन के कष्ट भी दूर करती है।
ग्वालियर सेंट्रल जेल के खुले मैदान में शांत और प्रसन्न मुद्रा में बैठकर ताल से ताल मिला रहे ये वो बंदी हैं जो अपराध की दुनिया से ताल्लुक रखते हैं, इनमें से कुछ तो इतने खतरनाक हैं जिनके नाम से लोग कांप जाते हैं । लेकिन जेल प्रशासन द्वारा आयोजित किए जाने वाले धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम इनका जीवन बदल रहे हैं। जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू का कहना है कि हमारा प्रयास है कि सुधार गृह में बदल चुके बंदीगृह में बंद बंदियों का आध्यात्मिक और मानसिक विकास हो और इसमें भागवत कथा बड़ा रोल निभाती है। इसलिए हम ये आयोजन कर रहे हैं। उधर भागवताचार्य संत गोपाल का कहना है कि वे वर्ष 2002 से यहाँ लगातार बंदियों के लिए भागवत कथा कहते आये हैं । बीच में करीब तीन साल का गेप हुआ है, लेकिन इस बार फिर ये क्रम शुरू हुआ है। उनका कहना है कि भगवान ने स्वयं कहा है कि भागवत कथा को सुनने मात्र से हमारे बहुत से कष्ट दूर हो जाते हैं। इतन ही नहीं इससे मनुष्य के आचरण में भी परिवर्तन आता है। वे कहते हैं कि जब से उन्होंने भागवत कहना शुरू की है जेल के अंदर बंदियों के बीच कोई अप्रिय घटना नहीं हुई और ये भागवत का ही प्रभाव है।