सिंधिया समर्थक रहे कांग्रेस नेता की मार्केट गिराई, प्रशासन बोला जमीन सरकारी

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। सरकारी जमीनों से अतिक्रमण (Encroachment) हटाने के अभियान के तहत गुरुवार को फिर एक कांग्रेस नेता ( Congress Leader)प्रशासन के निशाने पर आ गया। प्रशासन ने अलकापुरी तिराहे पर कांग्रेस नेता की मार्केट की 12 दुकानों को गिरा दिया। प्रशासन का कहना है कि दुकानें सरकारी जमीन पर बनी हुई हैं। जबकि कांग्रेस नेता ने दावा किया कि मार्केट उनकी पुरखों की जमीन पर बनी है जिसकी रजिस्ट्री उनके पास है। कांग्रेस नेता ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि कार्रवाई करने से पहले कोई नोटिस भी नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अब वे इसके खिलाफ कोर्ट जायेंगे।

सिटी सेंटर क्षेत्र में अलका पुरी तिराहे पर बनी कांग्रेस नेता केदार कंसाना की 12 दुकानों की मार्केट को गुरुवार को प्रशासन ने गिरा दिया। प्रशासन की अमला एडीएम आशीष तिवारी के नेतृत्व में वहाँ पहुंचा और दुकानदारों को दुकानों से हटने की लिए कहा। प्रशासन के पहुँचने से दुकानदारों में हड़कंप मच गया। प्रशासन ने दुकाने खाली करने का समय दिया और तोडफोड शुरू कर दी। कलेक्ट्रेट रोड पर स्थित अलका पुरी तिराहे की मार्केट पर हुई कार्र वाई से क्षेत्र के अन्य दुकानदार दहशत में आ गए। प्रशासन के अमले ने एक एक कर सभी दुकाने तोड़ दी।

कांग्रेस नेता का आरोप कार्रवाई गैर कानूनी, कोर्ट जायेंगे

युवा कांग्रेस के पूर्व लोकसभा अध्यक्ष केदार कंसाना ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल खड़े किये हैं और इसे गैर कानूनी बताया है। केदार का कहना है कि जमीन हमारी पुश्तैनी है। जिसे प्रशासन सरकारी बता रहा है। इसकी हमारे पास रजिस्ट्री है, मार्केट की नगर निगम से मंजूरी है, पानी के बिल बिजली के बिल हम भरते हैं, नगर निगम का व्यवसायिक टैक्स हम देते हैं। जब हम ये सब दे रहे हैं तो जमीन सरकारी कैसे हो गई। प्रशासन एक तरफा कार्रवाई कर रहा है। हमारे कागज प्रशासन देखना नहीं चाहता। अपनी फाइल लेकर चल रहा हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि नियम के मुताबिक पहले नोटिस दिया जाना चाहिये था वो भी नहीं दिया। सीधे दुकाने तोड़ दी। केदार ने कहा कि वे प्रशासन की गैरकानूनी कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट में अपील करेंगे।

प्रशासन का जवाब जमीन सरकारी, फिर रजिस्ट्री का क्या महत्व

मौके पर मौजूद एडीएम आशीष तिवारी ने कहा कि जिस जमीन पर मार्केट बना है वो सरकारी जमीन है। जब जमीन सरकारी है तो रजिस्ट्री का कोई महत्व नहीं होता। रही बात नोटिस नहीं दिये जाने का तो सात आठ महीने पहले इन लोगों को बेदखली आदेश दिया जा चुका है उसके नोटिस की प्रति भी दी जा चुकी है। कल भी हमारी टीम ने आकर इन लोगों को कहा था कि पुराने बेदखली आदेश पर कार्रवाई होगी। इसलिए ये कहना गलत है कि नोटिस नहीं दिया।

सिंधिया समर्थक नेता रहे हैं केदार कंसाना

गौरतलब है कि केदार कंसाना कट्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक नेता रहे हैं लेकिन सिंधिया के भाजपा में जाने के बाद केदार भाजपा में नहीं गए। उनके भाई कल्याण कंसाना भी कांग्रेस नेता है दोनों भाई कभी सिंधिया समर्थक नेता थे। लेकिन पहले कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह के परिजनों के बालाजी गार्डन पर कार्रवाई और अब केदार कंसाना की मार्केट को गिराने की कार्रवाई के चलते शहर में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि भाजपा के इशारे पर प्रशासन चुन चुन पर कांग्रेस नेताओं को निशाना बना रहा है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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