डबरा, अरुण रजक। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश की कृषि उपज मंडी (Krashi Upaj Mandi) को व्यवस्थित बनाकर, व्यापार में पारदर्शिता लाकर किसानों को फायदा पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन कई जगह मंडी प्रबंधन, व्यापारियों और आढ़तियों से मिलीभगत कर किसानों से उनका हक़ छीन रहे हैं। ग्वालियर जिले की डबरा कृषि उपज मंडी (Dabra Krashi Upaj Mandi) इसका एक उदाहरण है। यहां आज सोमवार को किसान नेत्री कृष्णा रावत पहुंची, किसानों की नाराजगी सामने आने पर एसडीएम प्रखर सिंह भी मंडी पहुंचे। किसान नेत्री ने जहां मंडी में अव्यवस्थाओं के साथ साथ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए वहीं एसडीएम ने भी व्यवस्थाएं तुरंत सुधारने और ट्रैफिक जाम नहीं लगने के निर्देश दिए।
डबरा कृषि उपज मंडी के हालात बदतर से बदतर हैं, यहां व्यापारियों और आढ़तियों की मनमानी चल रही है बार-बार शिकायत मिलने के कारण किसान नेत्री कृष्णा रावत ने मंडी पहुंचकर किसानों की समस्या को सुना। इस बीच किसान यूनियन के ब्लॉक अध्यक्ष शमशेर सिंह गिल, प्रदेश महासचिव कुलदीप संधू, संभागीय अध्यक्ष सतनाम सिंह, संगठन मंत्री प्रगट सिंह सेखुम, आदि भी उनके साथ थे। किसानों में आक्रोश की जानकारी सामने आते ही डबरा एसडीएम प्रखर सिंह, मंडी सचिव कुंज बिहारी शर्मा अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मंडी पहुंचे।
मंडी में निरंतर फैली अव्यवस्थाओं के कारण डबरा कृषि उपज मंडी को लेकर भारतीय किसान यूनियन की प्रदेश सचिव श्रीमती कृष्णा रावत ने मांग रखी कि सबसे पहली बात मंडी एक्ट के नियम अनुसार किसान को एंट्री रसीद गेट पर ही मिलनी चाहिए जिसके जिसके माध्यम से मंडी प्रांगण में ही किसान को भरपेट भोजन की व्यवस्था मिल सके। उन्होंने आरोप लगाया कि मंडी प्रशासन की मिलीभगत से किसान को एंट्री रसीद ना देते हुए बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिसके चलते किसान पूरा दिन भूखे मरने के लिए मजबूर रहते हैं।
महत्वपूर्ण बात ये है कि किसान की फसल की डाक बोली नियम अनुसार नहीं लगाई जाती पूरे देश की मंडियों में से डबरा कृषि उपज मंडी एक ऐसी अनोखी मंडी है जहां व्यापारी बुरी तरह से किसानों पर हावी है। खुलेआम किसानों का शोषण किया जाता है किसानों की बात सुनने वाला कोई नहीं है। व्यापारियों द्वारा किसानों की फसल की डाक बोली नियम अनुसार नहीं लगाई जाती व्यापारियों के इशारे पर बिचौलिए मंडी के बाहर ही ट्रॉली पर जाकर बोली लगा देते हैं परंतु जैसे ही आढ़तिये के बताए हुए कांटे पर तौल कराने के लिए किसान अपनी ट्रॉली लेकर पहुंचता है तो व्यापारी द्वारा उसकी ट्रॉली को खुलवा कर फसल फैला दी जाती है।
किसान नेत्री कृष्णा रावत ने जब डबरा एसडीएम प्रखर सिंह से इस बारे में बात की तब डबरा एसडीएम प्रखर सिंह ने आश्वासन दिया गया कि दो-चार दिन में सारी व्यवस्थाएं बनाने का पूरा प्रयास किया जाएगा। इस बीच किसान नेत्री कृष्णा रावत ने यह भी कहा कि एक मीटिंग में कुछ व्यापारियों ने उनसे यहां तक कह डाला कि हम दोनों मंत्रियों को अपनी जेब में रखकर घूमते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कभी उन व्यापारियों से मेरा सामना हुआ तो वह उन व्यापारियों का नाम भी खोलने के लिए तैयार है।
डबरा कृषि उपज मंडी की ये बदहाली देखकर ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा की डबरा का किसान और जनता कुछ रसूखदार लोगों के शोषण का शिकार हो रहे है क्योंकि अगर शासन-प्रशासन इस तरीके के दबाव में रहेगा तो जनता अपनी परेशानियां लेकर कहां जाएगी, ये बड़ा सवाल है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....