Dancing Cop रंजीत सिंह किस बात से रहते हैं परेशान, ग्वालियर में अपने खास अंदाज में कंट्रोल किया ट्रैफिक

Atul Saxena
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Dancing Cop Ranjit Singh : इंदौर पुलिस के माइकल जैक्सन के नाम से मशहूर डांसिंग कॉप रंजीत सिंह को आज पूरा देश जानता है, ट्रैफिक पुलिस के प्रधान आरक्षक यानि ट्रैफिक हवलदार रंजीत सिंह ने ट्रैफिक कंट्रोल करने की अपनी एक अलग स्टाइल बनाई जिसने आज उन्हें पूरे देश में सिर्फ पहचान ही नहीं दिलाई बल्कि सम्मान भी दिलाया है।

बढती सड़क दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने में और लोगों में ट्रैफिक सेन्स डवलप करने के लिए रंजीत सिंह इस समय ट्रैफिक पुलिस को ट्रेनिंग दे रहे हैं साथ ही बुलावे पर उस जिले में ट्रैफिक कंट्रोल करने का तरीका भी सिखा रहे हैं। रंजीत सिंह आज ग्वालियर पहुंचे और उन्होंने यहाँ अलग अलग चौराहों पर ना सिर्फ अपनी डांसिंग स्टाइल में ट्रैफिक कंट्रोल किया बल्कि लोगों को ट्रैफिक रूल्स की जानकारी भी दी।

मीडिया से बात करते हुए रंजीत सिंह ने कहा कि घर से निकलकर घर सुरक्षित वापस पहुंचना बहुत जरूरी है, क्योंकि घर पर हमारा कोई इन्तजार कर रहा होता है, लेकिन थोड़ी से जल्दबाजी जीवन को खतरे में डाल देती है, सॉरी बोल देने से कुछ भी हासिल नहीं होता, इसके लिए जागरूकता और स्पीड पर नियंत्रण जरूरी है ।

उन्होंने चिंता जताते हुए दुर्घटनाओं के आंकड़ें चौकाने वाले हैं, उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में 2021 में साढ़े ग्यारह हजार लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हुई है जो एक बहुत बड़ा आंकड़ा है, खास बात ये है कि इसमें से 6 हजार मौत युवाओं की हुई है जो बहुत चिंताजनक है, इसलिए मैं जगह जगह जाकर लोगों को अपने ट्रैफिक पुलिस के साथियों को अवेयर कर रहा हूँ। रंजीत ने कहा कि मुझे इस बात की ख़ुशी है कि पहले जवाब ट्रैफिक में आने से कतराते थे लेकिन अब आना चाहते हैं ये अच्छा बदलाव है।

ग्वालियर ट्रैफिक पुलिस के डीएसपी नरेश अन्नोटिया ने रंजीत सिंह की तारीफ करते हुए कहा कि रंजीत को भी वाही ट्रेनिंग मिली है जो दूसरे जवानों को मिली है लेकिन उसने अपने काम से अपनी अलग पहचान बनाई है, उसकी वर्दी देखिये, उसकी एनर्जी देखिये, ये रंजीत ने खुद डवलप की है, आज वो जो काम कर रहे हैं उससे उनकी और मप्र पुलिस की पहचान बनी है, हम चाहते हैं कि ग्वालियर ट्रैफिक पुलिस के जवान उससे ये सीखें।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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