ग्वालियर अतुल सक्सेना। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने एक बार फिर RSS पर निशाना साधा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने ग्वालियर में मीडिया के सवाल पर PFI और RSS को एक दूसरे का पूरक बताया। उन्होंने कहा कि जो धार्मिक उन्माद फैलाता है वो मेरी नजर में एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं एक दूसरे के पूरक हैं।
RSS और भाजपा (BJP) की मानहानि से जुड़े एक मामले में कोर्ट पेशी पर ग्वालियर (Gwalior News) पहुंचे कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के निशाने पर एक बार फिर संघ रहा। उन्होंने कहा कि जो संस्था रजिस्टर्ड ही नहीं है, जिसकी कोई मेम्बरशिप ही नहीं है, बैंक एकाउंट ही नहीं है उस संस्था के लोगों में मुझपर 7 राज्यों में मेरे विरुद्ध मानहानि केस लगाए हैं, इनकी कैसी मानहानि?
संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Dr. Mohan Bhagwat) की तारीफ के सवाल पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि वे पहली बार लीक से हटकर मस्जिद और मदरसा गए। डॉ भागवत मुसलमानों के भरोसा जीतने का प्रयास कर रहे हैं इसलिए मैं उनकी प्रशंसा कर रहा हूँ। जो लोग मुस्लिम टोपी पहनने से कतराते थे वो आज मस्जिद और मदरसा जा रहे हैं यही भारत जोड़ो यात्रा का बड़ा बदलाव है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने संविधान की शपथ ली है कि सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास लेकिन ये नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि यदि मोहन भागवत मुसलमानों का भरोसा जीतने निकले हैं तो अखलाख के घर जाएँ, बिलकिस बानो के घर जायें, जिन लोगों ने बलात्कारियों का सम्मान किया उनके खिलाफ कार्रवाई कराएं।
दिग्विजय सिंह ने पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई से जुड़े सवाल पर कहा कि जो धार्मिक उन्माद फैलाये उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन सवाल ये है कि यदि इसपर कार्रवाई हो रही है तो RSS और विश्व हिन्दू परिषद पर क्यों नहीं हो रही? आरएसएस से पीएफआई की तुलना करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जो धार्मिक उन्माद फैलाता है वो मेरी नजर में एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं एक दूसरे के पूरक हैं।
दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के सवाल पर गोलमोल जवाब दिया। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ये आप मुझपर छोड़ दीजिये। प्रियंका गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वे जल्दी शामिल होंगी।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....