Gwalior News : पुलिस कस्टडी में मौत मामले में 4 पुलिसकर्मी सहित सभी 6 आरोपी दोषमुक्त, ग्वालियर जिला न्यायालय का फैसला

घटना के बाद शिवम् के पिता ने आरोप लगाया कि उसने आत्महत्या नहीं की बल्कि पुलिस ने उसे मारकर उसके शव को लटका दिया,, आरोप के बाद पुलिस ने टीआई देवेंद्र मिश्रा , ASI ए आर भगत,  हेड कांस्टेबल राजवीर यादव, कांस्टेबल अम्बिका कटारे और दो गवाहों  विकास और आकाश के खिलाफ मामला दर्ज किया गया , शुरूआती जाँच के बाद जांच सीआईडी को सौंपी गई।

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Gwalior News : ग्वालियर जिला न्यायालय ने सात साल पुराने पुलिस कस्टडी में मौत के मामले में आरोपी चार पुलिस कर्मियों और दो गवाहों को दोषमुक्त कर दिया है, आरोपी उस समय फरार हो गया था जब पुलिस ने उसे डकैती के एक मामले में गिरफ्तार किया था और उसने थाने से भागकर अपने दोस्त के कमरे पर फांसी लगा ली थी, परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने हत्या कर शव लटका दिया।

आरोपी ने पुलिस कस्टडी से भागकर की थी आत्महत्या 

बचाव पक्ष के वकील एडवोकेट अभिषेक पाराशर ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि 30 जनवरी 2017 को आरोपी शिवम् भदौरिया ने पड़ाव थाने से भागकर शकुंतलापुरी में अपने दोस्त के कमरे पर फांसी लगा ली थी, शिव आदतन अपराधी था पुलिस ने उसे डकैती के एक मामले में गिरफ्तार किया था।

पुलिस पर लगे थे हत्या के आरोप 

घटना के बाद शिवम् के पिता ने आरोप लगाया कि उसने आत्महत्या नहीं की बल्कि पुलिस ने उसे मारकर उसके शव को लटका दिया,, आरोप के बाद पुलिस ने टीआई देवेंद्र मिश्रा , ASI ए आर भगत,  हेड कांस्टेबल राजवीर यादव, कांस्टेबल अम्बिका कटारे और दो गवाहों  विकास और आकाश के खिलाफ मामला दर्ज किया गया , शुरूआती जाँच के बाद जांच सीआईडी को सौंपी गई।

CID की जाँच में मृतक के पिता के आरोप गलत निकले 

सीआईडी ने मामले की जाँच कर 2021 में जिला न्यायालय में चालान पेश किया, जांच में मृतक के पिता द्वारा लगाये गए आरोप गलत पाए गए और आत्महत्या की बात सही निकली, मामले की सुनवाई करते हुए जिला न्यायालय ने सभी 6 आरोपियों को दोषमुक्त करार दे दिया  , आपको बता दें कि इस घटनाक्रम के बाद बहुत हंगामा हुआ था इसपर सियासत भी हुई थी ।

ग्वालियर से अतुल सक्सेना की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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