Gwalior News : शिकार के लिए ट्रेप में फंसाये लकड़बग्घे का रेस्क्यू, पहले तेंदुए को फंसा चुके हैं

Atul Saxena
Published on -

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। प्रतिबंध और निगरानी के बावजूद वन्य प्राणियों का शिकार (wild animal hunting) करने वाले शिकारी चोरी छिपे शिकार करने से बाज नहीं आ रहे। पिछले महीने एक तेंदुए को शिकार के लिए ट्रेप में फंसाये जाने के बाद ठीक उसी तरह आज गुरुवार को शिकारियों ने एक लकड़बग्घे (Hyena) को शिकार के लिए ट्रेप में फंसा लिया (Hyena trapped in the trap for hunting)। लेकिन ग्रामीणों से सूचना मिलने पर वन विभाग ने उसे रेस्क्यू किया, उसके पैर में चोट है, चिड़ियाघर प्रबंधन घायल लकड़बग्घे क इलाज कर रहा है।

ग्वालियर (Gwalior News) के आसपास के जंगलों में शिकारी सक्रिय हो गए हैं, वे जंगली जानवर के शिकार के लिए पारम्परिक तरीकों में से एक लोहे के सटके (ट्रेप) का इस्तेमाल कर रहे हैं।  गुरुवार को घाटीगांव क्षेत्र में सिमरिया टांका गांव के पास ग्रामीणों ने ट्रेप में फंसे लकड़बग्घे को देखा।

ये भी पढ़ें – अजब गजब:18 साल की बिटिया के 27 साल के पापा, CEO ने कर डाला 51000 का कन्यादान

लकड़बग्घे को फंसा देखने के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग को इसकी सूचना दी। वन विभाग ने मौके पर पहुंचकर गांधी प्राणी उद्यान (चिड़िया घर) प्रबंधन को सूचना दी लेकिन जब तक चिड़िया घर के अधिकारी वहां पहुँच पाते तब तक वनविभाग की टीम ने लकड़बग्घे को रेस्क्यू कर लिया।

ये भी पढ़ें – कमलनाथ ने उठाई बंदूक, लगाया निशाना, नरोत्तम ने गुनगुनाया तराना

ग्वालियर गांधी प्राणी उद्यान प्रभारी गौरव परिहार के मुताबिक शिकार के लिए लकड़बग्घे का अगला पैर लोहे के सटके  (ट्रेप) में फंसा हुआ था जिससे उसके पैर में चोट है। उसे लेकर चिड़ियाघर लाये हैं इलाज कर रहे हैं, ये मादा है और इसकी उम्र 3 से 4 साल के बीच है।  जंगल में बच्चे होने की सूचना भी मिली है इसके लिए वन विभाग सर्चिंग कर रहा है।

ये भी पढ़ें – Gwalior Weather : ग्वालियर में बारिश की झड़ी, सर्दी के तेवर हुए तेज

गौरतलब है कि इससे पहले 18 दिसंबर को शीतला माता मंदिर के जंगलों में शिकारियों ने इसी तरह लोहे के सटके (ट्रेप) का प्रयोग कर एक तेंदुए के शिकार की कोशिश की थी, ये तेंदुआ मादा थी और किशोरावस्था में थी। लेकिन ग्रामीणों की सजगता के चलते शिकारी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाए और वन विभाग और चिड़ियाघर ने उसके रेस्क्यू कर लिया। सटके के कारण तेंदुए के पैर में गंभीर चोट है जिसका चिड़ियाघर में इलाज जारी है।


About Author
Atul Saxena

Atul Saxena

पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

Other Latest News