Gwalior News : जींस टीशर्ट पहने आरक्षकों को पुलिस अधीक्षक ने दी सजा, सर्विस बुक में जुड़ेगा ये रिमार्क

एसपी धर्मवीर सिंह ने आरक्षक निखिल, राहुल शर्मा, सौरभ तिवारी और विनय समाधिया को परिनिंदा की सजा से दंडित किया है और इसे उनकी सर्विस बुक में लिखने के निर्देश दिए हैं।

Gwalior News : ग्वालियर जिले के नए पुलिस अधीक्षक धर्मवीर सिंह ने पिछले दिनों आदेश दिया था कि अब से कोई भी पुलिस अधिकारी कर्मचारी, पुलिस थानों और एसपी ऑफिस सहित अन्य पुलिस कार्यालयों में सादा कपड़ों जिसे जींस, टीशर्ट में नहीं दिखेगा और न ही स्पोर्ट्स शूज पहने दिखेगा वो केवल पुलिस वर्दी पहनेगा,  बावजूद इसके चार सिपाही एसपी के सामने ही पुलिस वर्दी की जगह जींस टीशर्ट में पहुंच गए, जिसके बाद एसपी ने इन्हें सजा सुनाई है।

जींस, टीशर्ट, स्पोर्ट्स शूज पहनाकर आने पर SP ने लगाया प्रतिबंध 

एसपी धर्मवीर सिंह ने अफसरों और कर्मचारियों को पुलिस विभाग के अनुशासन और नियमों को ध्यान में  रखते हुए केवल वर्दी ही पहनने के आदेश दिए थे, उन्होंने पिछले दिनों दिए अपने निर्देश में कहा था कि कोई भी कर्मचारी अधिकारी जींस टीशर्ट, स्पोर्ट्स शूज में नहीं दिखना चाहिए , कोई विशेष टास्क हो तब भी उसे पेंट शर्ट और लेदर शूज ही पहनना होगा।

अनुशासन का पालन कराने और जनहित देखते लिए फैसला  

एसपी ने कहा कि मैंने देखा है कि एसपी ऑफिस सहित पुलिस थानों और अन्य पुलिस कार्यालयों में पुलिस अधिकारी कमर्चारी जींस टीशर्ट में आ रहे हैं ऐसे में यहाँ पहुँचाने वाले शिकायतकर्ता या फिर अन्य कोई व्यक्ति कंफ्यूज हो जाता है इसलिए सभी को पुलिस वर्दी में रहना जरूरी है ।

चार आरक्षकों ने किया आदेश का उल्लंघन, मिली परिनिंदा की सजा 

रीडर शाखा डीपीओ में पदस्थ चार आरक्षक पिछले दिनों एसपी के सामने किसी कार्यालयीन कम से गए लेकिन उन्होंने उस आदेश को नजर अंदाज कर जींस टीशर्ट पहनी हुई थी, एसपी ने इसे अनुशासनहीनता और आदेश की अवहेलना करना माना और उन्हें सजा सुनाई , एसपी धर्मवीर सिंह ने आरक्षक निखिल, राहुल शर्मा, सौरभ तिवारी और विनय समाधिया को परिनिंदा की सजा से दंडित किया है और इसे उनकी सर्विस बुक में लिखने के निर्देश दिए हैं।

Gwalior News : जींस टीशर्ट पहने आरक्षकों को पुलिस अधीक्षक ने दी सजा, सर्विस बुक में जुड़ेगा ये रिमार्क


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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