ग्वालियर, अतुल सक्सेना। दबंगों और माफिया को ख़त्म करने के निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भले ही दे रखे हैं लेकिन उसको अधिकारी कर्मचारी कितना मानते हैं इसका उदाहरण ग्वालियर में उस समय देखने को मिला जब फौजी अपनी गुहार लेकर कलेक्टर के पास पहुंचा। दबंगों से परेशान इस फौजी ने यहाँ तक कह दिया कि सिस्टम मुझे मजबूर कर रहा है कि मैं पानसिंह तोमर की तरह हथियार उठा लूँ। हालाँकि कलेक्टर ने उसे भरोसा दिया है कि उसकी परेशानी एक दिन में दूर हो जाएगी।
ग्वालियर (Gwalior News) के मुरार क्षेत्र में रहने वाले रघुनाथ सिंह तोमर सेना के जवान हैं उन्होंने 22 साल देश की सेवा के लिए दिए हैं। 01 अगस्त 2021 को जब उनका रिटायरमेंट हुआ तो उन्होंने सोचा कि अब वे अपने परिवार को समय दे पाएंगे बच्चों से प्यार कर पाएंगे, लेकिन हुआ इसका उलटा। वे रिटायरमेंट के बाद से भू माफिया दबंगों और प्रशासन के बीच उलझकर रह गए हैं।
रघुनाथ सिंह तोमर ने मीडिया को बताया कि उन्होंने वर्ष 2011 में गौशाला के पास साईं नगर में अरविंद गुर्जर, भूपेंद्र बघेल, जसवंत यादव आदि से प्लाट ख़रीदा था, इसकी रजिस्ट्री अरविंद गुर्जर ने की थी। लेकिन अब उसपर दबंगों ने कब्ज़ा कर लिया है जो इन्हीं लोगों के लोग हैं।
फौजी रघुनाथ ने बताया कि जब वे सितम्बर अक्टूबर में अपने प्लाट पर काम कराने के लिए गए तो तो कब्ज़ा करने वाले दबंगों ने मुझसे झगड़ा किया, मुझे जान से मारने की धमकी दी। मैंने पुलिस थाने में शिकायत की, कई ऑफिसों में आवेदन दिए लेकिन मेरी कोई सुनवाई नहीं हुई।
दबंग कहते है ये प्लाट हमने ख़रीदा है ये हमारा है, ऑफिसों में जाता हूँ तो वहां के कर्मचारी कहते हैं कि आपके पास रजिस्ट्री है आप तो घेर लो। पुलिस कहती है झगड़ा कीजिये तब हम आपकी कोई मदद कर पाएंगे।अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या करूँ ?
फौजी रघुनाथ का कहना है कि वो अब दिमागी रूप से थक चुका है प्रशासन कोई मदद नहीं कर रहा , मुझे मजबूर किया जा रहा है कि मैं भी पान सिंह तोमर की तरह हरकत करूँ, हथियार उठाऊं। मैंने सोचा था कि सेना से रिटायर होने के बाद परिवार के साथ खुशहाल जीवन बिताऊँगा लेकिन पिछले कई महीनों से मैं अपने लिए न्याय की लड़ाई लड़ते हुए थक गया हूँ।
उधर कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Gwalior Collector) ने फौजी रघुनाथ सिंह तोमर की शिकायत सुनाने के बाद उन्हें भरोसा दिया कि आपका कब्ज़ा आपको वापस मिल जाएगा। कलेक्टर ने कहा कि मैंने एसडीएम को निर्देश दिए हैं कि इनको इनके प्लाट का कब्ज़ा दिलाया जाये।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....