ग्वालियर, अतुल सक्सेना। किसी व्यक्ति की दो बार मौत हो सकती है, पढ़कर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन ये सच है। ऐस हुआ है और वो भी एक ही दिन में। ये सब हुआ ग्वालियर चम्बल संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जयारोग्य अस्पताल (JAH Gwalior) समूह में। यहाँ एक महिला घायल अवस्था में इलाज के लिए पहुंची, डॉक्टर्स ने कुछ देर बाद उसे मृत घोषित कर दिया, परिजन जब उसे पोस्टमार्टम हॉउस लेकर पहुंचे तो उन्हें उसकी साँस चलती हुई महसूस हुई, परिजनों ने हंगामा कर भर्ती कराया लेकिन आखिरकार इलाज के बाद महिला ने दम तोड़ दिया। अब इस मामले में जाँच समिति बना दी गई है जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
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उत्तर प्रदेश के महोबा में रहने वाले निरपत सिंह अपनी घायल पत्नी जामवती को 24 फरवरी की रात को जयारोग्य अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर लेकर पहुंचे थे। डॉक्टर्स ने घायल महिला को भर्ती कर इलाज शुरू किया लेकिन कुछ घंटों बाद महिला की मौत हो गई। डॉक्टर ने 25 फरवरी को दिन में महिला को मृत घोषित कर पोस्ट मार्टम कराने के लिए भेज दिया।
जब निरपत सिंह पत्नी के शव को लेकर पोस्ट मार्टम हॉउस पहुंचा और और अंतिम विदाई देने के लिए पत्नी को हाथ लगाया तो उसे उसकी सांसे चलती महसूस हुई , उसने परिजनों को बताया, तो उन लोगों को नाक से सांस चलती महसूस हुई, आक्रोशित परिजन ट्रामा सेंटर पहुंचे और हंगामा शुरू कर दिया। डॉक्टर्स ने महिला को फिर से भर्ती किया और उसका इलाज शुरू किया लेकिन कुछ घंटे चले इलाज के बाद आज 26 फरवरी को सुबह महिला ने आखिरकार दम तोड़ दिया।
जिंदा महिला को डॉक्टर द्वारा मृत घोषित किये जाने की खबर ने हंगामा खड़ा कर दिया। मामले ने तूल पकड़ा तो जयारोग्य अस्पताल समूह के अधीक्षक डॉ आरकेएस धाकड़ ने एक्शन लिया। उन्होंने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से फोन पर बात करते हुए कहा कि मैंने ट्रॉमा सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ अभिलेख मिश्रा से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है, तीन डॉक्टर्स की एक जाँच कमेटी भी बना दी है जो तीन दिन में जाँच रिपोर्ट सौंपेगी, इसमें जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी उसके खिलाफ सख्त एक्शन लिया जायेगा।
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....