Diwali पर बच्चों को आतिशबाजी की चोट से कैसे बचाएं, डॉक्टर की इन सावधानियों पर जरूर दें ध्यान

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। आज दिवाली (Diwali 2022) है, बड़ों से कहीं ज्यादा इसके लिए बच्चे (Kids and Fireworks ) उत्साहित रहते हैं।  लेकिन जरा सी असावधानी बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती है।  इसलिए आपके घर के बच्चे जब भी आतिशबाजी चलाएं तो उनका ध्यान अवश्य रखें। यदि दिवाली पर आतिशबाजी से कोई चोट पहुँचती है तो आप बच्चों को कैसे बचा सकते (How to Protect Kids from Fireworks) हैं यहाँ हम यहाँ आपको वो सावधानियां बता रहे हैं।

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ग्वालियर के वरिष्ठ बाल्य एवम् शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ अरविंद रूनवाल ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ को सावधानियां और उपचार बारे में कुछ पांइट्स बताएं है जो आपको जानना जरूरी हैं।

Diwali पर बच्चों को आतिशबाजी की चोट से कैसे बचाएं, डॉक्टर की इन सावधानियों पर जरूर दें ध्यान

ये सावधानियां रखना जरूरी 

  • बच्चों द्वारा पटाखे बड़ों की निगरानी में ही चलाए जाएं।
  • तेज आवाज़ करने वाले पटाखों का प्रयोग कम करें, ये छोटे बच्चों और पशु-पक्षियों, किसी बीमार को कष्ट पहुंचा सकते हैं।
  •  बच्चों को ज्वलनशील फ़ाइबर जैसे नायलॉन आदि के सिंथेटिक वस्त्र न पहनाएं, कपड़े अधिक घेरदार और ढीले भी नहीं होने चाहिए।
  •  दीपक को दरवाज़े की चौखट पर रखते समय ध्यान दें कि उससे परदे आदि के आग पकड़ने की संभावना न हो। ध्यान रहे बच्चों को दीपक की लौ से दूर रखें।
  •  पटाखे खुले मैदान में ही चलाएं, जहां कम से कम बाल्टीभर पानी पास में अवश्य हो।

अचानक जल जाने पर करें ये उपाय  

  • जले हुए स्थान पर तत्काल ठंडा पानी डालें।
  • सिल्वर सल्फ़ाडायज़ीन का कोई ठंडा करने वाला मल्हम लगाएं, यदि उपलब्ध ना हो, तो टूथपेस्ट या हल्दी पेस्ट से भी काम चलाया जा सकता है।
  •  जले हुए स्थान को कपड़े, पट्टी से ना बांधकर हवादार गौज़ पीस से ढंक सकते हैं, जिससे ज़ख्म धूल और मिट्टी के संक्रमण से बचा रहेगा।
  •  प्रभावित बच्चे को तरल पेय पदार्थों का सेवन कराएं व साथ ही, दर्द-निवारक पैरासिटामॉल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  •  बर्न की गंभीरता के अनुरूप कुशल चिकित्सक से शीघ्रतिशीघ्र परामर्श लें।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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