प्रतिबंध के बाद भी कैसे चल रहा है रेत का कारोबार? पुलिस प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

Atul Saxena
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डबरा, अरुण रजक। वैसे तो डबरा शहर और आस पास के इलाकों में रेत उत्खनन  (sand mining) पर एनजीटी के आदेश के बाद रोक लगी हुई है, लेकिन कल भितरवार के बिजकपुर में रेत के पीछे हुई घटना के बाद उत्खनन रोक पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं।

दरअसल कल शाम भितरवार थाने में रेत के पीछे हुए विवाद का एक मामला पहुंचा जिसमें फरियादी द्वारा शिकायत की गई कि उसके गांव के कुछ दबंग उसके खेत से जबरन रेत निकलकर रहे थे जब उसने इसका विरोध किया तब दबंगों ने उस पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। जिसके बाद फरियादी को अस्पताल ले जाकर मलहम पट्टी कराई गई।

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अब सवाल यह उठता है कि जब शहर में रेत के परिवहन पर रोक लगी हुई है तो यह उत्खनन कैसे किया जा रहा है। हालांकि इस घटना के बाद MPBreakingnews के पास कुछ वीडियो आई जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह नदी से अभी भी रेत के अवैध उत्खनन जारी है और किस तरह रेत से ऊपर तक लदी हुई ट्रॉलियों का परिवहन अब भी पुलिस की सरपरस्ती में जारी है।

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जब हमने इस बारे में ग्रामीणों से बात करने की कोशिश की तब उन्होंने नाम अज्ञात रखने की शर्त पर हमको अपनी व्यथा बताई। एक ग्रामीण का कहना था कि रेत का कारोबार भले ही सरकार को दिखाने के लिए बंद हो लेकिन अवैध रूप से रेत का उत्खनन और परिवहन (Illegal sand mining in Dabra) चालू है। दबंग खुले आम घाट से रेत निकालते हैं और पुलिस की मदद से उसे नगर में महंगे दामों में बेचते हैं। हालांकि पुलिस इस बात को सिरे से नकारती है लेकिन तस्वीरें और वीडियो कुछ और ही बयां करती हैं।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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