ग्वालियर, अतुल सक्सेना। आज जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) है, लोग उत्साह और उमंग, शालीनता के साथ इसे मना रहे हैं, लेकिन ग्वालियर की सड़कों पर कुछ युवाओं ने कान्हा के जन्म के इस पर्व को हुड़दंग में बदल दिया। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (Former Chief Minister UP Akhilesh Yadav) की पार्टी के झंडे लिए ये युवा डीजे साउंड पर फूहड़ता करते ट्रैक्टर पर बैठकर सड़कों पर निकले, खास बात ये रही इस दौरान ग्वालियर की पुलिस (Gwalior Police) सड़कों से गायब दिखी।
ग्वालियर (Gwalior News) में भी आज लोग जन्माष्टमी का जश्न मना रहे हैं, कुछ लोग मंदिरों में दर्शन करने जा रहे हैं तो कुछ लोग घर पर बैठकर कृष्ण जन्मोत्सव का आनंद ले रहे हैं। इस विशेष मौके पर उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का ग्वालियर में कार्यक्रम है। वे कोटेश्वर मंदिर के पास सभा को सम्बोधित करेंगे और शोभायात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे।
अखिलेश यादव के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में उनके समर्थक, युवा हाथ में सपा (Samajwadi Party) और यादव समाज के झंडे लिए सड़कों पर निकले। ग्रामीण क्षेत्रों से ट्रैक्टर और अन्य वाहनों में बैठकर युवाओं की भीड़ अखिलेश यादव के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निकले।
अपने जश्न में डूबे ये युवा वाहनों पर जन्माष्टमी की शुभकामनायें और अखिलेश यादव सहित समाजवादी पार्टी के पोस्टर बैनर लेकर चल रहे थे। वाहनों में बड़े बड़े डीजे साउंड भी थे जिनमें तेज आवाज में गाने बज रहे थे और युवा वाहनों पर और सड़कों पर नाचते हुए हुड़दंग कर रहे थे।
मुरार के ग्रामीण क्षेत्रों से शहर में प्रवेश के दौरान वाहनों की रैलियों के कारण लोगों को घंटों जाम झेलना पड़ा। लोग कहते सुने गए कि धार्मिक और राजनीतिक रैलियों के नाम पर हुड़दंड कहाँ तक ठीक है। नाम नहीं बताने की शर्त पर लोग इस बात के लिए भी नाराज हो रहे थे कि यदि रैली निकल रही है तो पुलिस सड़कों से क्यों नदारद थी ? क्यों पुलिस ऐसे समय ट्रैफिक और शहर के लोगों की चिंता नहीं करती।
बहरहाल कृष्ण का जन्मोत्सव हमारे लिए एक बहुत पवित्र त्यौहार है जिसे पूरा हिन्दू समाज मनाता है, लेकिन यदि हम ऐसे विशेष मौके पर भी सड़कों पर हुड़दंग करेंगे तो हमारा धर्म और समाज दोनों पर लोगों को उंगली उठाने का मौका मिलेगा , जो अच्छी बात नहीं है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....