ग्वालियर।अतुल सक्सेना। मध्यप्रदेश के खाद्य मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर राशन वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के साथ साथ इसका लाभ शत प्रतिशत उपभोक्ता को देने के निर्देश कर चुके हैं लेकिन ये आदेश कितना प्रभावी है इसका अंदाज इस बात से ही लगाया जा सकता है कि खाद्य मंत्री के गृह जिले ग्वालियर में ही इसका लाभ उपभोक्ता को नहीं मिल रहा। आज भी 7200 परिवार ऐसे हैं जिनको राशन पर्ची जारी नहीं हो पाने के कारण राशन नहीं मिल रहा।
राशन वितरण प्रणाली में कहीं कोई खामी हो तो उसे दूर करना प्रशासन के अधिकारियों का काम है लेकिन खाद्य मंत्री के गृह जिले के अधिकारी ही खाद्य मंत्री के आदेशों पर पलीता लगा रहे हैं। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक ग्वालियर में राशन दुकानों से खाद्यान्न लेने वाले परिवारों की वर्तमान संख्या, 1.98 लाख है। इनमें वो परिवार भी हैं जो इसके लिए पात्र नहीं हैं लेकिन राशन बराबर ले रहे हैं। इसी कारण शासन ने आदेश दिया है कि सभी परिवारों का सत्यापन मोबाइल एप से होना है। सत्यापन के लिए जिले में 1178 टीम बनाई गई हैं इसे से 658 टीमों को शहरी क्षेत्र के 94000 परिवारों का सत्यापन करना है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक इन 658 टीमों में से केवल तीन टीमें ही सत्यापन के काम में लगीं हैं , नगर निगम ने अपने कर्मचारियों को स्वच्छता सर्वेक्षण के काम में लगाया हुआ है। जबकि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ को महिला एवं बाल विकास विभाग ने ये काम करने से मना किया है। जिसका नतीजा ये है कि वर्तमान स्थिति में जिले की प्रोग्रेस मात्र 24 प्रतिशत ही है इसलिए ऐसा समझा जा रहा है कि ये काम मार्च तक हो पाना मुश्किल है। जिला आपूर्ति नियंत्रक चंद्रभान सिंह जादौन भी मानते हैं कि सत्यापन की प्रक्रिया बहुत धीमी हैं या वजह है कि 7200 परिवारों को नई पर्ची जारी नहीं हो पा रही है और वे राशन से वंचित है लेकिन वे भरोसा दिला रहे हैं कि जल्दी ही शेष परिवारों को भी राशन मिलना शुरू हो जायेगा। बहरहाल समझना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा कि राशन वितरण व्यवस्था का ये सूरतेहल खाद्य मंत्री के गृह जिले का है तो बाकी जिलों में क्या हालात हो सकते हैं ?