अजब-गजब : एक दिन में बन गया सवा साल से अटका पड़ा मैरिज सर्टिफिकेट

Gaurav Sharma
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ग्वालियर कलेक्ट्रेट में सवा साल से अटका पड़ा कनाडा निवासी महिला का मैरिज सर्टिफिकेट एक दिन में ही बन गया। दरअसल इस मामले को लेकर जिस तरह से ग्वालियर जिला प्रशासन की मीडिया के माध्यम से पूरे देश में किरकिरी हुई, उसके बाद चेते प्रशासन ने आनन-फानन में सर्टिफिकेट बना दिया।

कनाडा की अनुप्रीत कौर संधू अब अपने पिया को सात समुंदर पार ले जा सकेंगी। दरअसल पिछले सवा साल से वे अपने पति गोहद निवासी शेफ को कनाडा ले जाना चाह रही थी लेकिन कलेक्ट्रेट में मैरिज सर्टिफिकेट नहीं बन पा रहा था। हर बार कर्मचारी किसी न किसी कागज की डिमांड कर देते और मैरिज सर्टिफिकेट जस का तस लटका रह जाता। मैरिज सर्टिफिकेट ना होने की वजह से महिला अपने पति का स्पाउस वीजा नहीं बनवा पा रही थी और वे कनाडा नहीं जा पा रहे थे। सोमवार को महिला ने कलेक्ट्रेट में इस मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा किया और कलेक्ट्रेट कर्मचारियों पर पैसे मांगने का आरोप तक जड़ दिया। महिला का यह भी आरोप था कि वह अब तक 9 लाख रू खर्च कर चुकी है लेकिन मैरिज सर्टिफिकेट उसके हाथ नहीं आया। मीडिया के माध्यम से जब यह खबर पूरे देश में फैली तो कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने खुद इस मामले पर संज्ञान लिया और आखिरकार बुधवार को महिला को मैरिज सर्टिफिकेट मिल गया।

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कलेक्टर के ट्विटर अकाउंट से यह जानकारी दी गई है कि जैसे ही अनुप्रीत कौर संधू को मैरिज सर्टिफिकेट मिला वे खुशी से झूम उठी। हालांकि ट्वीट में यह भी लिखा है कि महिला ने कुछ दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए थे जिसके कारण सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा था। लेकिन महिला की खुशी के झूमने की बात तो है ही साहब। सवा साल की लालफीताशाही और लेटलतीफी ने पिया मिलन की आस को भी सवा साल लंबा कर दिया ना।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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