ग्वालियर, अतुल सक्सेना। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) का ग्वालियर में एक बार फिर महिमा मंडन हुआ, हिन्दू महासभा ने नाथूराम गोडसे जिंदाबाद के नारे लगाए उसकी तस्वीर की आरती उतारी (Worship of Nathuram Godse) और अखंड भारत बनाने का संकल्प लिया। हिन्दू महासभा ने कहा कि शहर के किसी चौराहे पर गोडसे की मूर्ति स्थापित करने और एक चौराहे का नाम नाथूराम गोडसे के नाम पर रखने की तैयारी भी चल रही है।
जिसे पूरा देश महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का हत्यारा मानता है उसे हिन्दू महासभा अपना आदर्श मानती है और हर साल जयंती और बरसी पर ग्वालियर में आयोजन करती है। 15 नवंबर 1949 को अंबाला जेल में नाथूराम गोडसे और उनके साथी नारायण आप्टे को फांसी दी गई थी इस दिन को हिन्दू महासभा बलिदान दिवस के रूप में मनाती है।
आज हिन्दू महासभा ने ग्वालियर में दौलतगंज स्थित पार्टी कार्यालय पर नाथूराम गोडसे और उनके साथ नारायण आप्टे की तस्वीर की आरती उतारी , पूजा अर्चना की और जिन्दाबाद के नारे लगाए। पार्टी प्रवक्ता अर्चना चौहान ने कहा कि आज हमने बलिदान दिवस मनाया है और अखंड भारत बनाने का संकल्प लिया है।
उन्होंने कहा कि हम ग्वालियर के किसी चौराहे पर नाथूराम गोडसे की मूर्ति लगाने वाले हैं और एक चौराहे का नाम भी उनके नाम पर रखने वाले हैं, हमने पहले भी प्रयास किये थे लेकिन नगर निगम में मूर्ति जब्त कर ली थी, लेकिन हमारा प्रयास जारी है हम प्रशासन को इसके लिए जल्दी ही ज्ञापन भी देंगे।
एक हत्यारे को आदर्श मानने के सवाल पर उन्होंने कहा कि लोग कुछ भी माने लेकिन नाथूराम गोडसे सही मायने में देशभक्त और वीर क्रन्तिकारी थे , उन्होंने देश का विभाजन रोका था, यदि उस समय विभाजन रोका लिए जाता तो भारत पाकिस्तान दो टुकड़े नहीं होते और आज ये हालात नहीं होते।
बहुत कम संख्या के बावजूद इतने बड़े संकल्प को कैसे पूरा करने के सवाल पर हिन्दू महासभा की महिला नेत्री ने कहा कि आज कुछ लोग आये नहीं हैं लेकिन उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, हम चार लोग मिलकर भी वो कर सकते हैं जो हम करना चाहते हैं।
गौरतलब है कि ग्वालियर में हर बार साल में दो बार महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की पूजा अर्चना की जाती है और इसी को लेकर यह मामला पूरे देश भर में सुर्खियों में रहता है। हिन्दू महासभा लगातार नाथूराम गोडसे की पूजा अर्चना करती आ रही है उनकी जयंती और बरसी (बलिदान दिवस) को भव्य तरीके से मनाया जाता है लेकिन बावजूद इसके प्रशासन की तरफ से आज तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....