अब निगम संचालित करेगी केदारपुर लैंडफिल साइट, खाद भी बनायेगी

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। शहर की सफाई व्यवस्था संभालने वाली ईको ग्रीन कंपनी (Eco Green Company) के नाकाम हो जाने के बाद नगर निगम (municipal Corporation) ने पहले कंपनी ने सफाई व्यवस्था छीनी उसके बाद आज मंगलवार को लैंडफिल साइट (landfill site) को अपने कब्जे में ले लिया। नगर निगम इस साइट पर कचरे का निस्तारण कर खाद बनायेगी जिसका इस्तेमाल वो शहर में बने पार्कों में किया जायेगा।

पिछले कुछ महीने से बिगड़ी शहर की साफ सफाई व्यवस्था को लेकर कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह (Collector Kaushalendra Vikram Singh)सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की फटकार झेल चुके नगर निगम के अधिकारी अब सफाई व्यवस्था के साथ लैंडफिल साइट को लेकर भी गंभीर हो गया है। आज मंगलवार को नगर निगम के अधिकारी केदारपुर स्थित लैंडफिल साइट पहुंचे और उसे अपने  आधिपत्य में ले लिया। इस मौके पर नगर निगम आयुक्त संदीप माकिन, अपर आयुक्त, एसडीएमनरोत्तम भार्गव नोडल अधिकारी श्रीकांत कांटे सहित कंपनी के प्रोजेक्ट हेड एवं नगर निगम के विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।

निगम आयुक्त की मौजूदगी में की गई कार्रवाई के दौरान निगम अधिकारियों द्वारा लैंडफिल साइट प्लांट को चला कर देखा गया तथा संभवतः 1 सप्ताह में निगम द्वारा लैंडफिल साइट का प्लांट विधिवत प्रारंभ कर दिया जाएगा। जिससे शहर से उठने वाले कचरे की प्रोसेसिंग लैंडफिल साइट पर होना प्रारंभ हो जाएगी। निगम आयुक्त ने निर्देश पर प्लांट को आज से ही चालू कर दिया हो। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह में खाद बनाना शुरू हो जाना चाहिए। आयुक्त ने बताया कि नारायण विहार, मेला ग्राउंड एवं बुद्धा पार्क स्थित ट्रांसफर स्टेशन आज ही प्रारंभ होंगे। उन्होंने भस्मक को पुनः चालू किये जाने हेतु उपयंत्री अभिनव तिवारी को निर्देश दिये।

निगमायुक्त ने नोडल अधिकारी श्रीकांत कांटे से कहा कि निगम के कर्मचारियों को भी प्लांट के कार्य में प्रशिक्षित किया जावे, ताकि कोई भी कंपनी के कार्य ना करने अथवा कार्य छोड़ कर चले जाने पर अपने कर्मचारी कार्य संभाल सकें। श्री कांटे ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ से कहा कि जल्दी ही इस प्लांट से खाद बनानी शुरू कर दी जायेगी। जिसका उपयोग नगर निगम के पार्कों में ही किया जायेगा।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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