ग्वालियर। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने हाईकोर्ट में पहुंचकर अपनी गलती को स्वीकार किया और विभाग की ओर से जारी आदेश की प्रति कोर्ट में पेश की और कहा कि 3 महीने के भीतर कर्मचारी को समय मान वेतनमान का बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने अब उनके खिलाफ अवमानना के मामले से बरी कर दिया है।
स्वास्थ्य विभ��ग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने ग्वालियर हाई कोर्ट में अपनी गलती मानते हुए उस आदेश को पेश किया है जिसमें स्वास्थ्य विभाग के यूडीसी को क्रमोन्नति के बाद समयमान वेतनमान देने की बात कही गई है। गौरतलब है कि 12 नवंबर को हाई कोर्ट में अवमानना के मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश हुई गोरी सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा था कि क्रमोन्नति के साथ कर्मचारी आदित्य नारायण पुरोहित को समयमान वेतनमान का लाभ नहीं दिया जा सकता। जबकि कोर्ट की डिविजन बेंच ने अब रिटायर हो चुके कर्मचारी को वेतनमान का लाभ दिए जाने की के आदेश जारी किए थे।
दरअसल दतिया के स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ रहे यूडीसी आदित्य नारायण को क्रमोन्नति
का लाभ दिया गया था लेकिन उन्हें समय मान वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया ।इस बीच वे 2007 में रिटायर्ड हो गए। जब उन्हें वेतनमान का लाभ नहीं मिला तो उन्होंने हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की ।सिंगल बेंच ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया लेकिन डिविजन बेंच में अपील के बाद कोर्ट ने आदेश जारी किए थे कि उन्हें समय मान वेतनमान का लाभ दिया जाए। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने हर बार अलग-अलग रिपोर्ट पेश की और उन्हें वेतनमान का लाभ नहीं दिया। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह को 12 नवंबर को हाई कोर्ट में तलब किया था। हाई कोर्ट में भी गौरी सिंह में कर्मचारी को समयमान वेतनमान का लाभ दिए जाने में असमर्थता जताई थी। इस पर कोर्ट ने अवमानना का दोषी माना और उनकी सजा पर सुनवाई के लिए उन्हें तलब किया ।लेकिन प्रमुख सचिव गौरी सिंह ने कोर्ट में पहुंचते ही अपनी गलती को स्वीकार किया और विभाग की ओर से जारी आदेश की प्रति कोर्ट में पेश की और कहा कि 3 महीने के भीतर कर्मचारी को समय मान वेतनमान का बकाया भुगतान कर दिया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने अब उनके खिलाफ अवमानना के मामले में गौरी सिंह को बरी कर दिया है।