SAHARA ने नहीं किया भुगतान, लोगों का फूटा गुस्सा, एजेंट की दुकान पर जड़ा ताला

Pooja Khodani
Updated on -
sahara

ग्वालियर, अतुल सक्सेना। देश भर की तरह एमपी (Madhya Pradesh ) में भी सहारा इंडिया (Sahara India) कंपनी द्वारा ठगे गए लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं। ग्वालियर जिले (Gwalior) में तो भुगतान न मिलने से परेशान लोगों ने एजेन्ट की दुकान पर ही ताला डाल दिया।

UP Election 2022 : मार्केट में आया “समाजवादी इत्र”, लोगों ने दिया इस तरह रिएक्शन

ग्वालियर के मुरार थाने के अंतर्गत रहने वाले प्रदीप कटारिया का होजरी व्यवसाय है और वे सहारा इंडिया कंपनी (Sahara India Company) के के एजेंट भी है। कंपनी की लोक लुभावनी स्कीमों और खुद के कमीशन के लालच में प्रदीप ने अपने कई परिचितों का सहारा इंडिया कंपनी की विभिन्न स्कीमों में पैसा निवेश (Investment) करा दिया। स्कीम की परिपक्वता अवधि पूरी हो गई और लोग अपना तथाकथित रूप से दो गुना या ढाई गुना हुआ पैसा मांगने के लिए आए तो कंपनी बहाने बनाने लगी।

एजेंट प्रदीप कटारिया भी कंपनी के अधिकारियों के बयानों के आधार पर लोगों को सिर्फ आश्वासन ही देते रहे। ऐसे में परेशान निवेशकों ने मुरार में स्थित प्रदीप की होजरी की दुकान पर ही ताला डाल दिया।दरअसल, मुरार इलाके में रहने वाले रमेश लाल ने सहारा की स्कीम में सवा लाख रुपए निवेश किया था जो अब बढ़कर कागजों मे 4 लाख रू हो चुका है। कंपनी पैसा लौटाने का नाम नहीं ले रही। रमेश लाल को अपनी बच्ची की शादी की तारीख पैसा न मिलने के चलते तीन बार टालनी पड़ी है।

15 दिसंबर को 11.37 करोड़ किसानों के खाते में आएंगे 2000 रुपए! लिस्ट जारी, ऐसे करें चेक

परेशान होकर रमेश लाल ने अब पुलिस की शरण ली है जहां पुलिस ने कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है लेकिन इन सबसे पहले रमेश लाल ने प्रदीप कटारिया की दुकान पर ही ताला डाल दिया है। अब निवेश कंपनी ने कराया तो इसमे प्रदीप कटारिया की क्या गलती! लेकिन रमेश लाल का कहना है कि उन्होंने तो निवेश प्रदीप कटारिया का चेहरा देखकर किया था इसलिए अब पैसे लौटाने की जिम्मेदारी भी प्रदीप की है। इसलिए उन्होंने प्रदीप की दुकान पर ताला डाल दिया है। यानि प्रदीप को सहारा ने तो बेसहारा किया ही, अब रोजी रोटी के एकमात्र साधन पर भी निवेशकों ने ताला डाल दिया है।


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News