ग्वालियर, अतुल सक्सेना। सम्राट मिहिर भोज (Emperor Mihir Bhoj) की जयंती से पूर्व एक बार फिर ये मामला सुर्ख़ियों में आ गया है। राजा मिहिर भोज की जाति को लेकर गुर्जर समाज और क्षत्रिय समाज के बीच विवाद (Emperor Mihir Bhoj statue controversy) चल रहा है मामला न्यायालय में है इसी बीच गुर्जर समाज से जुड़े किसी व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर एक कार्यक्रम की पोस्ट शेयर की जिससे तनाव बढ़ गया और क्षत्रिय समाज भी सक्रिय हो गया। लेकिन कलेक्टर ने सख्त लहजे में कहा है कि किसी ने माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया तो वो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने इसे देखते हुए धारा 144 लगा दी है।
कल 30 अगस्त को सम्राट मिहिर भोज की जयंती है। इससे पहले आज एक बार फिर विवाद को तूल देने के प्रयास हुए। मामला जिला प्रशासन के सामने तब पहुंचा क्षत्रिय समाज के लोग मिहिर भोज जयंती पर कार्यक्रम करने की अनुमति मांगी, प्रशासन ने जब हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए किसी भी तरह के कार्यक्रम पर प्रतिबंध की बात बताई तो क्षत्रिय समाज के लोगों ने गुर्जर समाज द्वारा इतिहास बचाओ स्वाभिमान यात्रा निकालने के कार्यक्रम की सोशल मीडिया पोस्ट की जानकारी दी।
सोशल मीडिया पर इतिहास बचाओ स्वाभिमान यात्रा निकालने संबंधी पोस्ट की जानकारी सामने आने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया, उन्होंने क्षत्रिय समाज के लोगों से कहा कि न्यायालय का आदेश है कि राजा मिहिर भोज से जुडी ना तो कोई पोस्ट सोशल मीडिया पर डालेगा ना ही कार्यक्रम करेगा और इसका पालन सभी को करना अत्यंत आवश्यक है।
कलेक्टर बोले – उल्लंघन किया तो अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो
मामले को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी कौशलेन्द्र विक्रम सिंह (Gwalior Collector and DM Kaushalendra Vikram Singh) ने कड़े लहजे में कहा कि जो भी कोई न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करेगा उसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी ने भी शहर का माहौल ख़राब करने या कानून तोड़ने, कोर्ट के आदेश की अवहेलना की कोशिश की तो वो फिर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहे। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी ने माहौल को देखते हुए धारा (144 Section 14 effective in Gwalior) लगा दी है।
ग्वालियर शहर के एक चौराहे पर प्रशासन ने राजा मिहिर भोज की प्रतिमा लगाई है। प्रतिमा के नीचे लिखे शिलालेख पर सम्राट मिहिर भोज के नाम के साथ गुर्जर भी लिखा गया और यहीं से विवाद शुरू हुआ। क्षत्रिय समाज ने राजा मिहिर भोज को उनके समुदाय का बताते हुए गुर्जर शब्द लिखने पर आपत्ति जताई तो गुर्जर समाज ने दावा किया कि मिहिर भोज उनके समुदाय के प्रतापी राजा थे।
उस समय दोनों समुदाय आमने सामने आ गए, सड़कों से लेकर मूर्ति स्थल तक तनाव और टकराव के हालात बने। जिला प्रशासन ने जिसे रोकने के बहुत प्रयास किये फिर मामला हाईकोर्ट पहुंचा। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शिलालेख पट्टिका को ढंकने के आदेश दिए साथ ही फैसला नहीं होने तक किसी भी तरह के आयोजन पर रोक लगा दी है। स्थानीय प्रशासन ने लोहे की तीन से प्रतिमा के शिलालेख को ढँक दिया और आज तक यही स्थिति है। मामला अभी लंबित है।
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Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....