रेलवे की ड्रेस पहने युवक ले गया माँ को, भटक रहा बेटा, एक महीने बाद भी सुराग नहीं

Atul Saxena
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ग्वालियर, अतुल सक्सेना। बेटे के जन्मदिन पर उसे सरप्राइज देने घर से निकली एक मां का करीब एक महीने बाद भी कोई सुराग नहीं मिला है। मामला ग्वालियर GRP में दर्ज है। पीड़ित बेटा आज एसपी की जनसुनवाई में पहुंचा जहाँ पुलिस ने उसे भरोसा दिलाया है कि वो उसकी हरसंभव मदद करेगी।

ग्वालियर के मुरार थाना क्षेत्र में रहने वाले डॉ विकास कुलश्रेष्ठ दिल्ली में जॉब करते हैं। 25 अगस्त को उनका जन्मदिन था ना वो ग्वालीरो आ पाये ना माँ दिल्ली जा पाई तो उनकी माँ वंदना कुलश्रेष्ठ उन्हें सरप्राइज देने के लिए 26 अगस्त को दिल्ली के लिए निकली उन्हें झेलम एक्सप्रेस से जाना था लेकिन वे दिल्ली नहीं पहुंची। उनका आज 34 दिन बाद भी कुछ पता नहीं है।

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डॉ विकास के मुताबिक जब उसने पता किया तो उसकी माँ को रेलवे की ड्रेस पहने एक आदमी प्लेटफॉर्म नंबर 2 पर मिला वो गले में आई कार्ड भी डाले हुए था।  उसने मेरी माँ से पता नहीं क्या बात की और उन्हें अपने साथ ले गया।  सीसीटीवी में दिखाई दे रहा है कि वो माँ का बैग उठाये हुए है और मेरी माँ उसके पीछे पीछे चल रहीं हैं और उससे कुछ पूछ रहीं हैं।

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विकास का कहना है कि उन्होंने जब रेलवे मिनिस्ट्री से 31 अगस्त को जीआरपी में FIR दर्ज कराई लेकिन आज तक उनकी माँ का कोई पता नहीं है। डॉ विकास ने बताया कि जब उन्होंने रेलवे मिनिस्ट्री में शिकायत की और रेलवे ने रिजर्वेशन चार्ट देखा तो वो और मेरी माँ D 3 कोच में मथुरा तक नोटिस किया गया उसके बाद दोनों का कोई पता नहीं है।

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डॉ विकास आज मंगलवार को एसपी की जनसुनवाई में पहुंचे और आवेदन देकर मदद की गुहार लगाई है। पुलिस का कहना है कि मामला जीआरपी में दर्ज है जीआरपी प्रयास कर रही है हम भी अपनी तरफ से ढूंढने का प्रयास करेंगे। डॉ विकास ने अपनी माँ को ढूंढने के लिए जगह जगह गुमशुदा की तलाश के पोस्टर भी लगाए हैं और ढूंढकर लाने वाले को इनाम देने की बात भी लिखी है।


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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