बाजार की सड़कों पर दो लाल सांड का आतंक, लोगों पर कर रहे हमला

Gaurav Sharma
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होशंगाबाद/इटारसी,राहुल अग्रवाल। शहर के सड़कों पर 6 महीने से 2 सांड ने आतंक मचा रखा है। किसके है और कहा से आये इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है पर ये सांड अब लोगों के लिए खतरा बन गए हैं। कल रात सराफा व्यवसायी पंकज जैन के पुत्र आर्यन को सांड ने घायल कर दिया। आर्यन घर के बाहर खड़ा था कि तभी 2 सांड लड़ते हुए आये और देखते ही देख उन्होंने आर्यन पर हमला कर दिया। घटना की जानकारी लगते ही आर्यन के परिजन द्वारा उसे माता मंदिर हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उसे सर में टांके आये है।

वहीं दूसरा मामला आज दोपहर का है जब 2 सांड लड़ते हुए स्कूटी सवार महिला के ऊपर चढ़ गए। महिला इस हादसे में बाल बल बच गई पर ये पहली बार नहीं की सांड के हमले से कोई धायल हुआ हो। 6 महीने पहले एक फल व्यवसायी की मौत का कारण भी यही सांड था। इतने हादसे सामने आने के बाद भी लगता है कि नगरपालिका प्रशासन ने अपनी आंखें बंद कर रखी है। रोज मवेशी किसी न किसी को घायल कर रहे जिसको लकेर नगर पालिका CMO से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि मवेशियों को पडकने के टेंडर हो चुके है। जल्द से जल्द शहर की सड़कों पर से मवेशियो को हटाया जाएगा। अब देखना ये है कि रोज हो रहे हादसों से प्रशासन सबक लेता है या नहीं। ऐसा नही की ये हाल केवल शहर या बाजार का है हाईवे पर भी पशुपालक अपने मवेशी छोड़ देते है, जिससे रोजाना एक्सीडेंट होते है पर इस ओर किसी का ध्यान नही जाता।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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