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Sat, Dec 6, 2025

छिपीखापा सागौन कटाई: CCF अशोक कुमार के निरीक्षण न करने पर उठे गंभीर सवाल, सेवानिवृत्त अधिकारी ने PCCF को लिखा पत्र

Written by:Ankita Chourdia
नर्मदापुरम के छिपीखापा RF-112 में करोड़ों के सागौन कटाई मामले में नया मोड़ आया है। एक सेवानिवृत्त वन अधिकारी ने PCCF को पत्र लिखकर CCF अशोक कुमार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पत्र में सवाल उठाया गया है कि जानकारी होने के बावजूद CCF ने मौके का निरीक्षण क्यों नहीं किया।
छिपीखापा सागौन कटाई: CCF अशोक कुमार के निरीक्षण न करने पर उठे गंभीर सवाल, सेवानिवृत्त अधिकारी ने PCCF को लिखा पत्र

नर्मदापुरम: जिले के छिपीखापा RF-112 में सागौन के पेड़ों की बड़े पैमाने पर अवैध कटाई का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। अब इस प्रकरण में वरिष्ठ अधिकारियों की जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक मधुकर चतुर्वेदी ने इस मामले में सीधे प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (PCCF) एवं वन बल प्रमुख को पत्र लिखकर वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर आपत्ति जताई है।

चतुर्वेदी ने अपने पत्र में मुख्य रूप से CCF (मुख्य वन संरक्षक) नर्मदापुरम अशोक कुमार की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाया है। उन्होंने पूछा है कि करोड़ों रुपये की लकड़ी कट जाने के बाद भी CCF ने खुद मौके पर जाकर RF-112 का निरीक्षण करना जरूरी क्यों नहीं समझा।

CCF की भूमिका पर सीधा सवाल

मधुकर चतुर्वेदी द्वारा भेजे गए पत्र में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि CCF अशोक कुमार को अवैध कटाई की जानकारी पहले से थी। पत्र के अनुसार, CCF ने स्वयं 18 फरवरी 2025 और 5 मई 2025 को DFO नर्मदापुरम (सामान्य) मयंक गुर्जर को पत्र भेजकर अवैध कटाई के बारे में सूचित किया था।

“CCF नर्मदापुरम अशोक कुमार आज दिनांक तक RF-112 का निरीक्षण करने खुद क्यों नहीं पहुंचे?” — मधुकर चतुर्वेदी, सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक

चतुर्वेदी का आरोप है कि अगर CCF ने एक बार भी मौके का दौरा किया होता तो इस अवैध कटाई को रोका जा सकता था। लेकिन कथित तौर पर सिर्फ मौखिक सूचनाओं पर निर्भर रहने और सुरक्षा के लिए तत्काल ठोस कदम न उठाने के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई।

DFO की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में

पत्र में DFO मयंक गुर्जर की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं। यह कहा गया है कि CCF से मिले पत्रों के बावजूद RF-112 की सुरक्षा सुनिश्चित करने में लापरवाही बरती गई। आरोप है कि DFO ने 5 अक्टूबर 2024 को अपने भ्रमण विवरण में कटाई का कोई जिक्र नहीं किया और न ही वरिष्ठ अधिकारियों को जमीनी हकीकत से अवगत कराया, जो कर्तव्य के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।

चतुर्वेदी ने यह भी चिंता जताई है कि इस पूरे मामले में वरिष्ठ अधिकारियों को बचाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने लिखा कि छोटे कर्मचारियों पर जिम्मेदारी डालकर उनसे आर्थिक भरपाई कराने का दबाव बनाया जा रहा है, जिससे उनके परिवारों में असुरक्षा और भय का माहौल है।

छिपीखापा RF-112 में मौजूद कटे हुए पेड़ों के ठूंठ, जब्त की गई लकड़ी और तस्वीरों से यह स्पष्ट है कि कटाई बड़े पैमाने पर और लंबे समय से चल रही थी। अब यह मामला सिर्फ लकड़ी की चोरी का नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही का बन गया, जिसका केंद्रीय सवाल यही है कि जब आला अधिकारियों को महीनों पहले सूचना थी, तो उन्होंने समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की?