पिता की डांट से नाराज यूपी की दो लड़कियां घर से भागी, इटारसी पहुंची

Gaurav Sharma
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up girls found in itarsi of hoshangabad

होशंगाबाद/इटारसी, राहुल अग्रवाल। अपने पिता की डांट से नाराज होकर उत्तर प्रदेश निवासी दो लड़कियां घर से भागकर इटारसी आ पहुंची। यहां आरपीएफ ने उनके परिजनों से संपर्क किया और उनको बुलाकर लड़कियों को सकुशल परिजनों को सौंप दिया है।

आरपीएफ पोस्ट प्रभारी देवेन्द्र कुमार के अनुसार 14 अक्टूबर को मंडल सुरक्षा नियंत्रण कक्ष भोपाल ने सूचना दी कि दो लड़कियां अपने घर मिर्जापुर उत्तर प्रदेश से परिजनों को बिना बताए निकल गई हैं। सूचना पर ड्यूटी पर तैनात एसआई धर्मपाल सिंह आरक्षक राजेन्द्र मीना एवं आरिफ खान ने ट्रेनों और प्लेटफार्म पर तलाश शुरू कर दी।

इस दौरान दो लड़कियां इटारसी स्टेशन पर बैठी मिली जिनसे पूछताछ करने पर उन्होंने अपना नाम बताया, जिन्हें आरपीएफ पोस्ट पर लाकर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि पढ़ाई लिखाई के बारे में पिताजी के द्वारा डांटने पर वह बिना बताए घर से निकलकर ट्रेन में बैठ कर इटारसी आ गई हैं।

आरपीएफ ने उनके परिजनों के मोबाइल नंबर लिए परिजनों को सूचित किया जिस पर उन्होंने बताया कि वह उनकी बच्चियां है और बिना बताए घर से निकल गई हैं, हम लोग पहली ट्रेन पकड़ कर आ रहे हैं। उक्त दोनों बालिकाओं को महिला बल की निगरानी में रखा गया। आज 15 अक्टूबर को परिजन इटारसी आए।

परिजनों और लड़कियों को आपस में आमना-सामना कराया तो लड़कियों ने परिजनों को पहचान लिया। पिता ने बताया कि ये उनकी पुत्री हैं जो नाराज होकर घर से निकल गयी थीं। उन्होंने गुमशुदगी दर्ज नहीं करायी थी, क्योंकि ये स्वयं तलाश कर रहे थे। आवश्यक कार्यवाही के बाद लड़कियां परिजनों को सौंप दी है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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