इंदौर, डेस्क रिपोर्ट। नवरात्रि (Navratri) का पर्व शुरू होने वाला है। इंदौर शहर में भी नवरात्रि का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही इंदौर में मां के नौ स्वरूपों की पिंडी रूप में पूजा की जाती है। इंदौर में मां के काफी प्रसिद्ध मंदिर है। बिजासन माता मंदिर, अन्नपू्र्णा मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, मां परांबा मंदिर और काली मंदिर में अभी से ही नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। यहां नवरात्रि के दौरान भक्तों का तांता लगा रहता है।
अल सुबह से देर रात्रि तक मां के मंदिर में आस्था का सैलाब लगा रहते हैं। वहीं नौ दिन माता के जगराते भी किए जाते हैं। इतना ही नहीं इंदौर में मां का पिंडी के रूप में कहीं पर पूजन होता है, तो कहीं पर तीन बार श्रंगार किया जाता है। ऐसे में भक्तों को माता के मनोहरी रूप के दर्शन मिलते हैं। आज हम आपको इंदौर के ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां माता का पिंडी स्वरूप में पूजन किया जाता है। साथ ही उन मंदिरों की मान्यता भी काफी ज्यादा है।
सबसे पहले बात करते हैं इंदौर के स्व प्रसिद्ध बिजासन माता मंदिर की। जी हां वैष्णो देवी मंदिर कटरा की तरह ही इंदौर का बिजासन माता मंदिर भी काफी प्रसिद्ध है। यहां की मान्यता काफी ज्यादा है। यहां माता नौ स्वरूप को नौ पिंडियो के रूप में विराजित है। बिजासन माता मंदिर 1000 साल पुराना है। यहां मांगी गई हर मान्यता पूरी होती है। यहां मां नवरात्रि के दौरान भक्तों का ताता देखने को मिलता है।
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खास बात यह है कि इस साल नवरात्रि पर माता के दरबार में खास रौनक देखने को मिलेगी। क्योंकि बीते 2 साल से कोरोना महामारी की वजह से भक्तों के मंदिर आने पर रोक लगी थी। लेकिन इस साल को रोना का प्रतिबंध ना होने की वजह से बिजासन माता मंदिर में भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलेगी हो सकता है। भक्तों को करीब दो 2 घंटे का इंतजार दर्शन के लिए करना पड़ेगा।
अब बात करते हैं अन्नपूर्णा मंदिर की तो अन्नपूर्णा मंदिर इस साल नया स्वरूप धारण करने वाला है। माता अन्नपूर्णा द्रविड़ स्थापत्य शैली में बने मंदिर में विराजित है। इस बार नवरात्रि के पर्व में माता अन्नपूर्णा के मंदिर में भी भक्तों का ताता देखने को मिलेगा।
यह मंदिर भी काफी साल पुराना है। यहां की मान्यता भी काफी ज्यादा है। बात करें राजवाड़ा पर स्थित हरसिद्धि माता मंदिर की तो यहां पर भक्तों का हमेशा ही सैलाब देखने को मिलता है। यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। इस मंदिर का निर्माण मां देवी अहिल्या द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर को मराठा शैली में बनाया गया है।