इंदौर, आकाश धोलपुरे। कोरोना कितना घातक है ये तो सभी जानते है और महामारी के इस काल में निजी अस्पतालों ने किस कदर मनमानी की है और किस कदर लूट मचाकर लोगों की जान के साथ के खिलवाड़ किया है, इस बात के भी कई उदाहरण देखने को मिले हैं। ऐसा ही लापरवाही का बड़ा मामला इंदौर के चोइथराम अस्पताल में सामने आया है जहां एक कोविड पेशेंट की मौत के बाद हंगामा खड़ा हो गया। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए मरीज की मौत का जिम्मेदार अस्पताल प्रबंधन को बताया है।
इस मामले में गौर करने वाली बात ये है कि जिस पेशेंट की मौत हुई है उनकी बेटी जबलपुर मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस की अंतिम वर्ष की छात्रा है। बेटी का कहना है कि एक समय तो खुद ट्रीटमेंट कर उसने पिता की जान लगभग बचा ली थी लेकिन अंततः ये बात अस्पताल को नागवार गुजरी और नतीजा ये हुआ की उसके पिता की मौत हो गई। बेटी इस पूरे समय के दौरान डॉक्टरों से सही इलाज और सुविधाओं के लिए कहती रही लेकिन किसी के कान में जूं तक नही रेंगी और आखिर उसके पिता ने दम तोड़ दिया।
दरअसल, इंदौर के स्कीम नम्बर 71 में रहने वाले एक 60 वर्षीय दिव्यांग बुजुर्ग को 16 नवंबर को कोरोना (corona) के इलाज के लिए उनके बेटे देवाशीष ने चोइथराम अस्पताल (choithram hospital) में भर्ती कराया। इस दौरान जबलपुर में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही बेटी को सूचना दी गई जिसके बाद बेटी इंदौर आई और 18 नवंबर को पिता के हाल जानने के बाद कोविड प्रोटोकॉल के तहत अस्पताल प्रबंधन से पीपीई किट पहनकर आईसीयू वार्ड में रहने की इजाजत मांगी। 11 घण्टे की देख रेख के बाद बेटी ने पिता का सेच्युरेशन लेवल 96 तक ला दिया। उस वक्त पिता भी खुद को ठीक महसूस कर रहे थे। बुजुर्ग की मौत के बेटे देवाशीष ने बताया कि 18 तारीख के बाद जब 19 तारीख को परमिशन मांगी गई तो अस्पताल ने मना कर दिया। इसके बाद डॉक्टर बेटी और पिता के बीच व्हाट्सएप के जरिये बातचीत होती रही और वीडियो कॉल पर भी बेटी पिता की तबीयत पर नजर बनाए हुए थी। बेटे देवाशीष ने बताया कि 19 तारीख के बाद से उनके पिता आक्सीजन मशीन को लेकर शिकायत कर रहे थे और 20 तारीख शुक्रवार को भी उन्होंने सांस की तकलीफ की बात की। बेटे के मुताबिक वेंटिलेटर मशीन खराब थी जिसकी शिकायत के बावजूद किसी ने ध्यान नही दिया और शुक्रवार को अस्पताल स्टाफ ने पिता के बेड बदल दिया जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई। बता दें कि रात 8 बजकर 30 मिनिट पर आखरी दफा पिता ने परिजनों से बात की और कुछ देर बाद अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद तो डॉक्टर बेटी ऐश्वर्या चौहान ने हंगामा खड़ा कर दिया और अस्पताल प्रबन्धक अनिल लखवानी और पूरे प्रबंधन को पिता की मौत का जिम्मेदार बताया। बेटी ने इस दौरान कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर तमाम सबूत होने का दावा भी किया। वहीं इस मामले की शिकायत राजेंद्र नगर पुलिस को की गई है। अब परिजन अस्पताल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कर रहे है।
इस पूरे मामले में एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि जब एक दिन डॉक्टर बेटी को आईसीयू की परमिशन दे दी गई तो दूसरी बार क्यों नही ? क्या अस्पताल प्रबंधन इस बात से खफा था कि बेटी के इलाज से पिता जल्द ठीक हो जाएगा और उन्हें फीस के तौर पर मोटी रकम वसूलने में परेशानी होगी ? फिलहाल, इस मामले को लेकर इंदौर में प्रशासन क्या एक्शन लेता है ये भी अभी एक बड़ा सवाल है।