इंदौर, आकाश धोलपुरे। कोरोना वायरस का कहर अभी थमा ही नहीं है कि अब लोगों को मौसमी बीमारियों ने अपनी जकड़ में लेना शुरू कर दिया है। इसी का परिणाम है निजी चिकित्सकों के क्लिनिक से लेकर सरकारी अस्पतालों में वायरल फीवर ( viral fever) को लेकर बड़ी संख्या बच्चों से लेकर बड़े तक पहुंच रहे है। वहीं अब डेंगू (Dengue) भी अपना जोरदार कहर बरपा रहा है।
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चिकित्सकों की मुताबिक यूपी में वायरल और डेंगू अपने चरम पर है। वहीं मध्यप्रदेश (MP) में वायरल बुखार और डेंगू का असर जबलपुर (Jabalpur) में ज्यादा देखा जा रहा है। डॉक्टर्स की माने तो मालवा क्षेत्र में भी इसका असर तेजी से बढ़ रहा है। अकेले इंदौर के चाचा नेहरु चिकित्सालय में जहां आम दिनों में 400 से 450 के बीच मरीज पहुंचते थे तो वहीं पिछले कुछ दिनों से मरीजो की संख्या बढ़कर 750 प्रतिदिन तक जा पहुंची है।
इंदौर (Indore) के चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ. हेमंत जैन ने बताया कि वायरल फीवर का दौर हर साल आता है। वही अब तक इसे इन्वेस्टिगेट नही किया जा सका है कि किस तरह के वायरस इस फीवर में होते है। वहीं जबलपुर में अब तक स्क्रब टाइफस वायरस (scrub typhus virus) सामने आया है और ये बीमारी ओरियेंटिया सुटसुगमुशी नामक जीवाणु से होती है। हालांकि उन्होंने बताया कि मालवा क्षेत्र में अभी इस वायरस का संक्रमण कम है। डॉ. हेमंत जैन के मुताबिक ये संक्रमण आम तौर पर गाय, भैस, बैल बकरी के पिस्सू से पनपता है और ये पिस्सू बच्चो को काटते है तब बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द और त्वचा पर चकत्ते पड़ना जैसे लक्षण सामने आते है। हालांकि उन्होंने बताया कि स्क्रब टायफस अभी इंदौर में नही आया है लेकिन गांवों में ये तेजी से पनपता है।
वहीं वायरल फीवर के साथ-साथ डेंगू को लेकर डॉ. हेमंत जैन ने बताया कि हर साल वायरल फीवर के साथ डेंगू आता है और पिछले 2-3 सालों में देखा गया है कि डेंगू में मृत्यु दर कम हो गई है। वही 12-13 साल पहले डेंगू से मौते ज्यादा हो रही थी जिसकी वजह ये थी कि उस समय उपचार समझ में नही आया था।
बता दे कि इंदौर में अब तक डेंगू की चपेट में 86 लोग आ चुके वही 1 गर्वभती महिला की मौत हो चुकी है इससे अलग प्लेटलेट्स की कमी के चलते वायरल फीवर जोर पकड़ रहा है और इसके मरीजो की संख्या का अंदाजा लगाना फिलहाल, मुश्किल है। ऐसे में विशेषज्ञ डॉक्टर ये सलाह भी दे रहे है कि पानी को एकत्रित न होने दे ताकि मच्छरों से बचा जा सके वही वायरल से पीड़ित मरीज से संपर्क में न आये तो वायरल संक्रमण से बहुत हद तक बचा जा सकता है।