युवाओं के हित में है अग्निपथ योजना, देश में फैलाया जा रहा भ्रम : मेजर जनरल निश्चय राउत

भारतीय सेना में सैनिकों की बढ़ती औसत उम्र लंबे समय से चिंता का विषय रही है। वर्तमान में हमारे सैनिकों की औसत उम्र 32 वर्ष है, जो दुनिया के कई देशों के मुकाबले काफी अधिक है। लेकिन अग्निपथ योजना के लागू होने के बाद अगले छह-सात वर्ष में हमारी सेना अधिक युवा होगी और सैनिकों की औसत आयु 26 वर्ष हो जाएगी।

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Jabalpur News : भूतपूर्व सैनिक संघ म.प्र. द्वारा अग्निपथ योजना के संबंध में बुधवार को पत्रकारवार्ता का आयोजन किया गया। मीडिया को संबोधित करते हुए भारतीय सेना से सेवानिवृत्त मेजर जनरल निश्चय राउत ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना देश के युवाओं के साथ-साथ देश के भी हित में है और अग्निवीरों की सेवा शर्तों को लेकर जानबूझकर देश में भ्रम का वातावरण पैदा किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर इस योजना को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है।

अग्निवीरों के साथ नहीं होता भेदभाव

मेजर जनरल निश्चय राउत ने कहा कि इन दिनों सोशल मीडिया में यह दुष्प्रचार जोर-शोर से किया जा रहा है कि अग्निवीरों के शहीद होने या सेवा के दौरान उनकी मृत्यु होने पर सरकार उनकी या परिजनों की कोई मदद नहीं करती, लेकिन ये सरासर झूठ है। वास्तविकता यह है कि अग्निवीरों को ट्राई सर्विसेज के समान ही जोखिम और कठिनाई भत्ते दिए जाते हैं। किसी भी अग्निवीर की शहादत या सेवा के दौरान मृत्यु होने पर 48 लाख रुपये की बीमा राशि तथा 44 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है। इसके अलावा विभिन्न राज्य सरकारें शहीद सैनिकों के लिए जो सहायता राशि देती हैं, वो भी उनके परिजनों को मिलती है। ले.जन मानवेंद्र सिंह ने कहा कि ड्यूटी के दौरान अगर कोई अग्निवीर विकलांग हो जाता है, तो उसे विकलांगता के अनुसार एकमुश्त मुआवजा दिया जाता है।

देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही अग्निपथ योजना

मेजर जनरल राउत ने कहा कि अग्निपथ योजना के बारे में एक भ्रम यह भी फैलाया जा रहा है कि यह देश की सुरक्षा की दृष्टि से लाभदायक नहीं है। वास्तव में यह योजना सुरक्षा क्षेत्र में सरकार की दूरदृष्टि को ही रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना में सैनिकों की बढ़ती औसत उम्र लंबे समय से चिंता का विषय रही है। वर्तमान में हमारे सैनिकों की औसत उम्र 32 वर्ष है, जो दुनिया के कई देशों के मुकाबले काफी अधिक है। लेकिन अग्निपथ योजना के लागू होने के बाद अगले छह-सात वर्ष में हमारी सेना अधिक युवा होगी और सैनिकों की औसत आयु 26 वर्ष हो जाएगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2030-2032 तक 12 लाख सैनिकों वाली हमारी सेना का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा अग्निवीरों का होगा और हमारी सेना में युवाओं तथा अनुभवी सैनिकों के बीच बेहतर संतुलन स्थापित हो जाएगा। मेजर जनरल राउत ने कहा कि दुनिया में तकनीकी प्रगति जिस तेजी के साथ हो रही है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भविष्य के युद्ध कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वायत्त प्रणालियों, नेटवर्क, सूचना क्षेत्र, अंतरिक्ष आधारित खुफिया निगरानी और टोही और साइबर स्पेस का उपयोग करके लड़े जाएंगे। ऐसे में सशस्त्र बलों में उच्च तकनीकी समझ वाले युवाओं की मौजूदगी क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारे सैन्य बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों के वेतन एवं पेंशन पर ही खर्च हो जाता है। चालू वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय को पेंशन के लिए लगभग 1.38 लाख करोड़ रूपए आवंटित किए हैं, जो देश के कुल रक्षा बजट का लगभग एक चौथाई है। यह स्थिति सेनाओं के आधुनिकीकरण की रफ्तार को प्रभावित करती है। अग्निपथ योजना से सैन्य बलों की पेंशन में कमी आएगी, जिससे आधुनिकीकरण के लिए पर्याप्त धन बचेगा।

युवाओं का भविष्य संवारेगी अग्निपथ योजना

मेजर जनरल निश्चय राउत ने कहा कि अग्निपथ योजना के बारे में एक झूठ यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि यह योजना अग्निवीरों को युवावस्था में ही बेरोजगार बनाकर यहां-वहां भटकने के लिए छोड़ देती है। लेकिन ऐसा कहने वालों ने संभवत: योजना की सेवा शर्तों को ठीक से पढ़ा नहीं है। वास्तव में यह योजना युवाओं के भविष्य को संवारने वाली है। अग्निवीर चार साल तक सशस्त्र बलों में सेवा करते इसके बाद, इनमें से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को भारतीय सेना में ही स्थायी सेवा में नियुक्ति दी जाती है। सेवानिवृत्त अग्निवीरों को बीएसएफ, सीआईएसएफ, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और रक्षा पीएसयू में 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ शारीरिक परीक्षण की छूट एवं पांच साल की आयु में छूट दी जाएगी। केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों ने चार साल की सेवा के बाद अग्निवीरों को अपनी नौकरियों में शामिल करने का प्रस्ताव स्वीकार किया है। ले.जन. सिंह ने कहा कि सेवा के दौरान सरकार अग्निवीरों को कौशल प्रशिक्षण देती है और सेवानिवृत्ति के समय प्रत्येक अग्निवीर के पास एक व्यापक कौशल-सेट प्रमाण पत्र होगा जिसमें उनकी सेवा के दौरान प्राप्त कौशल और प्रवीणता का विवरण होगा। अग्निवीरों को उच्च शिक्षा क्रेडिट भी प्राप्त होंगे। उनके पास तीन साल या उससे अधिक की अवधि में 18.2 लाख रुपये का बैंक ऋण प्राप्त करने का विकल्प भी होगा तथा सेवा निवृत्ति पर उन्हें 10.4 लाख रुपये की राशि भी दी जाएगी, जिसका उपयोग वे अपना उद्योग स्थापित करने में कर सकते हैं। इस अवसर पर ब्रिगेडियर शिवपाल सिंह सेना मेडल विशिष्ठ सेना मेडल (सेवा निवृत्त)पूर्व सेंटर कमांडेंट ग्रेनेडियर्स सेंटर उपस्थित रहे।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट


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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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