जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आशा कार्यकर्ता के निलंबन मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि हर आशा कार्यकर्ता का वजूद है, बिना सुनवाई के उसे हटाना नियम का उल्लंघन करना है। साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव, सतना कलेक्टर और अन्य को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि आखिर आशा कार्यकर्ता को सुनवाई का अवसर दिए बिना कैसे हटाया, साथ ही हाईकोर्ट ने इस मामले में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग सहित अन्य से 1 सप्ताह में जवाब भी मांगा है, यह सुनवाई जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच में हुई है।
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सतना निवासी अंजलि जायसवाल (आशा कार्यकर्ता) की ओर से अधिवक्ता आनंद कृष्ण त्रिवेदी ने हाई कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता अंजलि जयसवाल स्वास्थ्य कारणों के चलते मेडिकल छुट्टी पर थी। लेकिन इसके बावजूद मैहर ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर ने मेरी क्लाइंट अंजलि जायसवाल को कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना ही टर्मिनेट कर दिया। सीएमओ अधिकारी एवं सतना कलेक्टर को इस मामले में आवेदन देकर शिकायत भी किया गया था, लेकिन अधिकारीयों ने इस पर कोई मदद नहीं की। इसलिए थक हारकर याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण ली है।
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सुनवाई के बाद बाद हाईकोर्ट ने भी माना है कि यह पूरी तरह से अनुचित है और आखिर आवेदक को सुनवाई का अवसर दिए बिना उसे हटाना गैरकानूनी है। फिलहाल अब इस मामले में 1 सप्ताह बाद सुनवाई की जाएगी।