लापरवाही का मामला हुआ उजागर, पोस्टमार्टम में हो रही देरी, नहीं सौंपा जा रहा परिवार को शव

जबलपुर, संदीप कुमार। वैसे तो कहने को जबलपुर का नाम संस्कारधानी है पर अगर बात की जाए यहां पर संस्कारों की तो वह बिल्कुल भी देखने को नहीं मिल रहे है। ताजा मामला मेडिकल कॉलेज का है जहाँ पर की एक नवविवाहिता के शव को पाने के लिए परिजनों को सुबह से लेकर शाम तक का इंतजार करना पड़ा, इतना ही नहीं परिजन प्रशासन और मेडिकल के अधिकारियों से शव पाने की गुहार करते करते थक गए पर किसी का दिल नहीं पसीजा। परिजनों को शव ना मिल पाने की वजह प्रशासनिक अधिकारियों का पोस्टमार्टम के समय उपस्थित ना होना बताया जा रहा है।

पोस्टमार्टम के लिए हो रहा एसडीएम और तहसीलदार इंतजार


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।