अमानक चावलों को लेकर यहां के संभाग कमिश्नर ने अपने स्तर पर शुरु की जांच, बड़े खुलासे होने की उम्मीद

Gaurav Sharma
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जबलपुर,संदीप कुमार। केंद्र सरकार के जांच दल के द्वारा पीडीएफ के अमानक चावलों का खुलासा होना ये मामला पूरे प्रदेश में तूल पकड़ चुका है। लिहाजा राज्य सरकार के निर्देश पर जबलपुर संभाग कमिश्नर महेशचंद्र चौधरी ने अमानक चावलों के मामले की स्वयं जांच शुरू कर दी है।

अमानक चावल मामले में जबलपुर से बालाघाट,मंडला,छिंदवाड़ा दौरे पर निकलने से पहले मीडिया से बात करते हुए संभाग कमिश्नर महेशचंद्र चौधरी ने कहा कि संभाग के सभी जिलों में पीडीएफ चावलों की सेम्पलिंग शुरू कर दी गई है। कमिश्नर के निर्देश पर जिला प्रशासन राइस मिलर्स,वेयर हाउस कार्पोरेशन और नागरिक आपूर्ति निगम से सेम्पल लेना शुरू कर दिया गया है। अभी तक 265 नमूने लिए गए है जिसमे की करीब 40 नमूने चावल के अमानक पाए गए है। जहां के नूमने अमानक मिले उन गोदामो को सील कर दिया है।

साथ ही कमिश्नर महेशचंद्र चौधरी ने सभी आठो जिले के कलेक्टरों को निर्देश दिए है कि किसी भी कीमत में अमानक चावल सहकारी उचित मूल्य की दूकान तक न पहुंचे। जांच में यह भी पाया गया है कि जो अमानक धान खरीदी गई थी वह पिछले खरीफ सीजन की थी।प्राथमिक जांच में ये भी पाया गया है कि क्वालिटी इंस्पेक्टर और मिलर की सहभागिता के चलते अमानक चावल राशन दूकान तक पहुंचा था।

प्रशासन द्वारा अभी तक 16 मिलरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। फिलहाल कमिश्नर महेशचंद्र चौधरी चार दिवसीय संभाग दौरे पर निकल चुके है। बताया यह भी जा रहा है कि जब जांच अंतिम पड़ाव में पहुंचेगी तो अमानक चावल मामले में कई बड़े खुलासे हो सकते है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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