बच्ची पर कुत्तों के हमले पर हाई कोर्ट गंभीर, सरकार को नोटिस देकर मांगा जवाब

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। राजधानी भोपाल के बागसेवनिया क्षेत्र में तीन साल की मासूम पर आवारा कुत्तों के हमले की घटना को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) ने गंभीरता से लिया है। हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) ने घटना पर स्वतः संज्ञान में लेते हुए एक जनहित याचिका के तहत इसकी सुनवाई की और मुख्य सचिव, भोपाल, कलेक्टर, भोपाल नगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है।

शनिवार 1 जनवरी को एक निर्माण कार्य में लगे श्रमिक की मासूम बेटी पर कुत्ते के हमले की घटना पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की नाराजगी(CM Shivraj Singh Chauhan) , मप्र मानव अधिकार आयोग (MP Human Rights Commission) के नोटिस के बाद अब हाई कोर्ट ने भी सख्ती दिखाई है।  मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कुमार कौरव की युगल पीठ ने सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव, नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव एवं भोपाल कलेक्टर व नगर निगम कमिश्नर को नोटिस जारी कर इस पूरे मामले में जवाब तलब किया है।

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आवारा कुत्तों द्वारा बच्ची को नोचने पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि ऐसी घटनाएं आखिर बार-बार क्यों हो रही हैं और इनसे निपटने के लिए क्या उपाय किए गए हैं? साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी पूछा है कि इस तरह की घटनाओं पर कैसे नियंत्रण किया जा सकता है? हाई कोर्ट ने इस मामले में चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

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हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिए हैं कि वह घायल हुई बच्ची का हर जरूरी इलाज सहित अन्य सुविधाएं मुहैया करवाएं। गौरतलब है कि 1 जनवरी को राजधानी भोपाल के बागसेवनिया के अंजलि विहार फेस-2 में एक निर्माणाधीन मकान में मजदूरी करने वाले श्रमिक की तीन साल की बच्ची वहीं खेल रही थी तभी आवारा कुत्तों के एक झुंड ने बच्ची पर अचानक हमला कर दिया और उसे बुरी तरह नोंच खरोच दिया। कुत्तों के हमले में बच्ची को सिर, कान और हाथ में गहरे जख्म हो गए।  बच्ची के शरीर में कई जगह चोट भी लगी है।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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