अवैध खनन के गड्ढे दो बहनों के लिए बने मौत का तालाब, ग्रामीणों में गुस्सा

Atul Saxena
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जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर के ग्रामीण क्षेत्र में दो सगी बहनों की एक तालाब में डूबने से मौत (death of two sisters) हो गई। दोनों बहनें परिवार के साथ शिवलिंग का विसर्जन करने गई थीं। घटना के बाद से ग्रामीणों में गुस्सा है। उनका कहना है कि जिस तालाब में बच्चियां डूबीं वो दरअसल तालाब नहीं है वो अवैध खनन के लिए माफिया द्वारा खोदे गए गड्ढे है।

पाटन थाना के ग्राम उड़ना में आज दो सगी बहनों की तालाब में डूबने से मौत गई। दोनों बहने अपनी मां और दादी के साथ शिवलिंग विसर्जित करने गई हुई थी। तभी पैर फिसल जाने से वह डूब (two sisters drowned in the pond) गई। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय ग्रामीण मौके पर पहुंचे और दोनों बहनों को पानी से बाहर निकाला पर तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

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ग्रामीणों के मुताबिक जिस तालाबनुमा गड्ढे में दोनों बहनें की मौत हुई हैं वह खनन माफिया द्वारा खोदे गए हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांव के आसपास कई सालों से अवैध खनन हो रहा है, क्षेत्र में गहरे-गहरे गड्ढे खोदे गये हैं जिसमें बारिश का पानी भर जाने से ये गड्ढे मौत के तालाब बन जाते हैं।

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मृतकों के परिजनों ने बताया कि घर पर शिवलिंग की स्थापना की गई थी। नेहा और निधि परिवार वालों के साथ गांव के बाहर तालाब नुमा गड्ढे में शिवलिंग विसर्जित करने गई हुई थी। उसी समय अचानक ही नेहा और निधि का पैर फिसल गया जिसके चलते दोनों ही बहने गहरे गड्ढे में जा समाई। जब तक स्थानीय लोग उन्हें बाहर निकालते तब तक दोनों की ही मौत हो चुकी थी।

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घटना के बाद से ग्रामीणों में गुस्सा है  उनका कहना है कि लंबे समय से गांव में अवैध खनन चल रहा हैं बावजूद इसके स्थानीय प्रशासन, खनिज विभाग और पुलिस प्रशासन ने इस तरफ कभी ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने आशंका जताई कि जल्द ही अगर खनन माफिया पर करवाई नहीं हुई तो आगे भी इस तरह की घटना होती रहेंगी।
अवैध खनन के गड्ढे दो बहनों के लिए बने मौत का तालाब, ग्रामीणों में गुस्सा


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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