जबलपुर, संदीप कुमार। जबलपुर (Jabalpur) शहर का कोई ऐसा कोना नही है जहाँ पर की आवारा श्वान (street dogs) का राज न हो, रात को तो ये और भी खतरनाक हो जाते है, कि इन श्वानों को रात में अगर कोई अकेला मिल जाता है तो उस पर वो अचानक ही हमला कर देते है। एक जानकारी के मुताबिक वर्तमान में 40 नगर निगम ने अभी तक 53 हजार श्वानों का बधियाकरण कर चुका है। जबलपुर निवासी फारूक बताते है कि दूकान से रात को जब घर जाओ तो डर लगता है कि कहीं ये स्ट्रीट डॉग्स उन पर हमला न कर दे, फारुख ने बताया कि कुछ दिन पहले एक युवक को स्ट्रीट डॉग्स ने गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
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जिला अस्पताल में रोजाना रैबीज इंजेक्शन के 60 से 70 केस
जबलपुर जिला अस्पताल में श्वान के काटने पर रैबीज के इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जाते है, इन दिनों जिला अस्पताल में डॉग बाईट को प्रतिदिन 60 से 70 केस आ रहे है। स्ट्रीट डॉग ज्यादातर बच्चो पर हमला करते है। सीएमएचओ के मुतबिक निश्चित रूप से डॉग बाईट के केस कहीं से भी कम नही आ रहे है पर इसके लिए शासन से रैबीज के इंजेक्शन भी उपलब्ध करवाए है, उन्होंने कहा कि कभी-कभी डॉग बाईट के केस एक दिन में 100 तक पहुँच जाते है।
केस नंबर.1-मानेगांव आदर्श नगर में रहने वाला 6 साल का बालक घर के बाहर खेल रहा था,खेलते-खेलते वह स्ट्रीट डॉग के पास पहुँच गया और उसे पकड़कर खींचने लगा तभी गुस्से में आकर श्वान ने उसे पैर में काट लिया जिसके बाद बच्चे को रैबीज के पाँच इंजेक्शन लगाये गए।
केस नंबर.2-पुलिस लाइन में पदस्थ एक एसआई अपनी बाइक से रसल चौक तरफ जा रहा था जैसे ही उसकी बाइक आयकर चौराहे के पास पहुँची वहाँ श्वान का झुंड बैठा हुआ था,बाइक की स्पीड कम होने के चलते वह भागने में नाकामयाब रहे इसी दौरान एक श्वान ने उनके पैर में काट लिया जिसके चलते उन्हें खून निकलने लगा,जान बचाने के लिए उप निरीक्षक ने रैबीज इंजेक्शन लगवाया।
जनवरी से अगस्त तक मरीजो की संख्या
जनवरी-1750, फरवरी-1940, मार्च-2215, अप्रैल-1230, मई-1005, जून-1490, जुलाई-1690, अगस्त- 1445 बता दें कि इस साल आठ महीनो में आवारा डॉग्स के कटाने के 12,765 मामले सामने आ चुके है।
इधर, नगर निगम का दावा है कि उन्होंने स्ट्रीट डॉग्स के आतंक को कम करने के लिए बहुत से प्रयास किये है और कर रही है। जी इस प्रकार है……
*2011में श्वानों के बधियाकरण का अभियान
*53 हजार श्वानों के बधियाकरण का दावा
*1 करोड़ 91 लाख रु हो चुके है अभी तक खर्च
*5 से 10 फीसदी प्रति साल बढ़ रही है संख्या