जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। आखिरकार आठ साल बाद ज्योति के हत्यारों को सजा मिल ही गई, कानपुर में 27 जुलाई 2014 को हुए जघन्य ज्योति हत्याकांड में शुक्रवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। सभी 6 दोषियों को आजीवन करावास की सजा सुनाई गई है। सजा सुनाए जाने के दौरान सभी दोषी कोर्ट रूम में रोने लगे। उन्होंने हाथ जोड़कर सजा कम करने की अपील की। गौरतलब है कि जबलपुर की रहने वाली बड़े कारोबारी की बेटी ज्योति की शादी कानपुर में हुई जहां उसके पति ने प्रेमिका के लिए ज्योति को मौत के घाट उतार दिया था। ज्योति को इतनी बेरहमी से मारने के लिए सुपारी दी गई थी कि ज्योति के शव का पोस्टमॉर्टम करते वक्त डॉक्टर भी सहम गए थे। ज्योति के शरीर पर 17 बार चाकू के घाव मिले थे। 4 पेट में, 4 गर्दन पर, 2 सिर के पिछले हिस्से, 4 पैर और 3 पीछे हिप पर। पति पीयूष ने हत्या को लूट के बाद की गई हत्या को दिखाने का पूरी साजिश रची। लेकिन उसकी टीशर्ट ने पुलिस की जांच का रूख बदल दिया।
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जबलपुर की ज्योति की कानपुर में 27 जुलाई 2014 को उसके पति पीयूष ने ही सुपारी देकर मरवा दिया था, ज्योति जबलपुर के अरबपति कारोबारी की बेटी थी। कानपुर में बिस्किट कारोबारी परिवार के बेटे पीयूष से उसकी शादी हुई थी। शादी के बाद से ही पीयूष का संबंध अपनी पूर्व प्रेमिका मनीषा मखीजा से था, मनीषा और पीयूष शादी करने वाले थे जिसके लिए पीयूष ने अपनी पत्नी ज्योति को ही रास्ते से हटाने का प्लान बनाया, प्रेमिका के लिए पति पीयूष ने बेहद क्रूरता के साथ ज्योति की हत्या करवाई थी। हत्या भी ऐसी कि किसी का भी दिल कांप जाए। जांच में सामने आया था कि पति ने सुपारी किलर से कहा था- तब तक चाकू मारना, जब तक सांसें न उखड़ जाएं और बाकायदा सुपारी किलर ने ज्योति की चीखे फोन पर उसके पति पीयूष को सुनवाई थी।

जिन 6 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उनमें ज्योति का पति पीयूष श्यामदासानी, उसकी प्रेमिका मनीषा मखीजा, मनीषा का ड्राइवर अवधेश चतुर्वेदी और सुपारी किलर आशीष, सोनू और रेनू हैं। गुरुवार को कोर्ट ने इन 6 आरोपियों को दोषी करार दिया था। जबकि पीयूष की मां और उसके दो भाइयों मुकेश और कमलेश को बरी कर दिया था। मामले में मनीषा मनीखा के वकील ने कहा कि वह सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में जाएंगे। क्योंकि, इस पूरे केस में मेरे क्लाइंट का कोई सीधा संबंध नहीं था।
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ज्योति के परिजन आरोपियों को मिली उम्रकैद की इस सजा से राहत में है, हालांकि जैसे ही कोर्ट में सजा का ऐलान हुआ, ज्योति के पिता शंकर नागदेव फूट-फूट कर रोने लगे, उन्होंने बताया कि 1 सितंबर, 1988 को जबलपुर (मप्र) में ज्योति का जन्म हुआ था। वो शादी से पहले जबलपुर के कंगारू किंगडम स्कूल में पढ़ाती थी। वो बीएड में गोल्ड मेडलिस्ट थी। ज्योति बड़ी हुई तो कानपुर के बिस्किट कारोबारी ओम प्रकाश श्यामदासानी के बेटे पीयूष और ज्योति के रिश्ते की बात चलाई। सब कुछ तय होने के बाद दोनों की 2012 में शादी हो गई। शादी के बाद जल्द ही ज्योति को पति कके अफेयर के बारे में पता चल गया लेकिन उसने किसी से कोई बात नहीं की, पीयूष अक्सर रातों को अपने घर से गायब रहने लगा, वह मनीषा के साथ राते गुजारता था, इस बात का जब ज्योति को पता चला तो वह गुमसुम रहने लगी उसने अपनी बुआ को इस बारे में बताया लेकिन खुलकर बात नहीं की, ज्योति ने अपनी बुआ से कहा कि जब वह जबलपुर आएगी उनसे बात करेंगी लेकिन उससे पहले ही पीयूष ने उस मौत के घाट उतार दिया।