Jabalpur News : वक़्फ़ बोर्ड को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, 3 ऐतिहासिक इमारतों को नहीं माना वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति

वक्फ बोर्ड के दावे को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत आने वाली सम्पत्तियों पर वक़्फ़ बोर्ड अपना हक़ कैसे जता सकता है?

Atul Saxena
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Jabalpur News : मध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट से मप्र वक्फ बोर्ड को आज एक बड़ा झटका लगा है, कोर्ट ने बुरहानपुर की 3 ऐतिहासिक इमारतों को वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति नहीं माना और बोर्ड का दावा ख़ारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत आने वाली सम्पत्तियों पर वक़्फ़ बोर्ड अपना हक़ कैसे जता सकता है? आपको बता दें कि वक़्फ़ बोर्ड ने मकबरे सहित 3 इमारतों को अपनी संपत्ति बताकर अधिसूचना जारी की थी जिसे ASI (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।

बुरहानपुर की तीन इमारतों पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला 

मप्र की जबलपुर हाई कोर्ट ने आज मुगल बादशाह शाहजहां की बहू के मकबरे समेत 3 इमारतों पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है , कोर्ट ने बुरहानपुर स्थित मुगल बादशाह शाहजहां की बहू के मकबरे और तीनों इमारतों पर वक्फ बोर्ड के अधिकार को ख़ारिज कर दिया, हाई कोर्ट ने माना वक्फ बोर्ड ने गलत आदेश जारी कर इन इमारतों को अपनी संपत्ति माना था।

2015 में ASI ने वक्फ बोर्ड की अधिसूचना के खिलाफ लगाई थी याचिका  

मामले की सुनवाई जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया की कोर्ट में हुई ,  वक्फ बोर्ड ने 2013 में एकअधिसूचना जारी कर इन इमारतों को अपनी संपत्ति बताया था जिसके खिलाफ 2015 में ASI ने आपत्ति दर्ज की थी, ASI ने अपनी याचिका में कहा था कि शाह शुजा स्मारक, नादिर शाह का मकबरा और किले में स्थित बीबी साहिब की मस्जिद प्राचीन और इमारत संरक्षित श्रेणी में आती हैं।

कोर्ट का सवाल, संरक्षित इमारतों को वक्फ बोर्ड कैसे अपनी संपत्ति बता सकता है?

जस्टिस गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड से सवाल किया कि प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत प्राचीन और संरक्षित इमारतों पर वक्फ बोर्ड अपना हक़ कैसे जाता सकता है?  आपको बता देंकी 2015 में ASI की याचिका के बाद इस मामले में कोर्ट ने स्टे दे दिया था और आज इसमें फैसला सुनकर याचिका निराकरण कर दिया।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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