साल 1998 में लगाई गई थी याचिका।
बता दें कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से साल 1998 में डेरी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। उस वक्त याचिका में कहा गया था कि शहर यानी नगर निगम सीमा के अंदर संचालित करीब साडे 450 डेरिया संचालित हो रही है जिससे शहर में न केवल गंदगी फैल रही है बल्कि इन डेरियों के चलते डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया जैसी गंभीर बीमारियां भी पनप रही है लिहाजा इन डेयरियों को शहर से बाहर किया जाए।
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2017 में हाईकोर्ट से एनजीटी केस हुआ था ट्रांसफर।
शहरों से डेरिया हटाने को लेकर करीब 19 साल तक केस हाई कोर्ट में चलता रहा उसके बाद हाईकोर्ट ने इस केस को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को ट्रांसफर कर दिया तब से लेकर आज तक यह केस एनजीटी में चल रहा है।
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2020 में एनजीटी ने दिया था फैसला।
आपको बता दें कि शहर में संचालित डैरियो को लेकर एनजीटी ने 2020 में फैसला दिया था जिसमें एनजीटी ने साफ कहा था कि हर हाल में शहर से डेरिया हटकर आउटर में जानी चाहिए लेकिन एनजीटी के सख्त आदेश के बाद भी नगर निगम क्षेत्र से काफी सारी डेरिया अभी भी हटना बाकी है इसीलिए इसी को लेकर आज एनजीटी ने सख्त निर्देश दिए और 11 मार्च के पहले मामले में एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी गई है।