Jabalpur : राजा शंकरशाह रधुनाथ शाह के बलिदान स्थल पर बन रहे म्यूजियम को लेकर विरोध

Amit Sengar
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जबलपुर, संदीप कुमार। गोंडवाना वंश के महान क्रांतिकारी पिता-पुत्र, राजा शंकरशाह-रघुनाथ शाह को अंग्रेजों ने जबलपुर (Jabalpur) में तोप के मुहाने से बांधकर उड़ा दिया था। सन् 1857 में जबलपुर के जिस कोर्ट रुम में शंकर शाह-ऱघुनाथ शाह को मौत की सज़ा दी गई थी और जहां उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था उस इमारत को म्यूज़ियम में तब्दील किया जा रहा है। इस काम में बड़े पैमाने पर हो रही तोड़-फोड़ और राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह की मूर्तियों की जगह बदलने का आज जमकर विरोध हुआ।

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जबलपुर के मालगोदाम चौक के पास इस ऐतिहासिक इमारत में जनता दल यूनाईटेड के प्रदेश अध्यक्ष सूरज जैसवाल पहुंचे जिन्होने तोड़फोड़ का विरोध जताया और गोंडवाना वृहद मंच के साथ मिलकर आंदोलन की चेतावनी दी। जद यू के प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि इस ऐतिहासिक धरोहर को संवारने की बजाय इसका मूल स्वरुप ही बदला जा रहा है और इस काम में राजा शंकरशाह रघुनाथ शाह की प्रतिमाओं का भी अनादर किया गया।

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म्यूज़ियम का ये काम इंटैक यानि इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के द्वारा करवाया जा रहा है। मौके पर मौजूद इंटैक के साईट इंजीनियर ने भरोसा दिलाया है कि इस काम में तय गाईडलाईन्स का पूरा पालन किया जाएगा।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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