जबलपुर के चित्रकार स्व. राममनोहर सिन्हा ने संविधान की मूलकृति के प्रथम पृष्ठ सहित कई पेजो को सहेजा

Amit Sengar
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जबलपुर, संदीप कुमार। हर वर्ष 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है, इस दिन ही हमारे देश का संविधान लागू हुआ था, संविधान के निर्माण में पूरे 2 साल 11 माह और 18 दिन लगे थे, डॉ भीमराव आंबेडकर ने संविधान का निर्माण किया था पर संविधान की जो पुस्तक बनी थी उसे बनाने में भी कई लोगो का योगदान था,जबलपुर के चित्रकार स्व. राममनोहर सिन्हा ने संविधान की मूलकृति के प्रथम पृष्ठ सहित कई पेजो को अपनी चित्रकारिता से सहेजेने का काम किया था।

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चित्रकार स्व. व्यौहार राममनोहर सिन्हा का नाम संविधान की किताब में आज भी स्वर्ण अक्षरों से लिखा हुआ है,स्व. व्यौहार राममनोहर के पुत्र डॉ अनुपम सिन्हा कहते है कि 1949 में संविधान बन गया था उसके बाद इस संविधान को मूलकृति में चित्रों के माध्य्म से पिरोने का काम किया गया था उनके पिता राममनोहर जी ने ,1949 में पश्चिम बंगाल स्थित शांति निकेतन में डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने आचार्य नंदलाल वसु से संपर्क किया की संविधान की मूलकृति का अंलकरन करना है,ऐसे में नंदलाल वसु ने अपने परम् शिष्य और अनुयायी राममनोहर को चुना और उन्हें ये जवाबदारी सौपी, संविधान की मूलकृति में अधिकांश चित्रों को बनाने में राममनोहर जी का योगदान रहा है।

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जबलपुर के चित्रकार स्व. राममनोहर सिन्हा ने संविधान की मूलकृति के प्रथम पृष्ठ सहित कई पेजो को सहेजा

चित्रकार स्व राममनोहर सिन्हा ने मूलकृति के मुख्य पृष्ठ सहित करीब 12 से ज्यादा चित्रों को संविधान में उभेरा है, जिसमे भगवान नटराज-सिंधुघाटी सभ्यता-नेता जी सुभाषचंद्र बोस-भारत का सम्रद्ध विविधतापूर्ण दृश्य मुख्य है,स्व राममनोहर के पुत्र डॉ अनुपम बताते है कि ये सभी चित्र उनके पिता ने भारतीय प्रतीकों से भारतीय संस्कृति को मिलाकर बनाया था, संविधान की किताब में प्रस्तावना पेज भी जबलपुर के स्व राममनोहर सिन्हा ने बनाया था, चित्रकार स्व. व्यौहार राममनोहर जी ने संविधान की मूलकृति में अपने हस्ताक्षर भी किए हुए है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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