जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में शिक्षक राजेश शर्मा और रणेश गौर की याचिका पर न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने प्रमोशन से इनकार करने वाले उच्च श्रेणी शिक्षक को हाईकोर्ट ने क्रमोन्नति का लाभ देने के आदेश दिए। एक अन्य मामले में बार-बार ट्रांसफर करके कर्मचारी को परेशान करने के मामले में नोटिस जारी किया गया।
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दरअसल, सोमवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में शिक्षा विभाग से संबंधित दो मामलों में न्यायमूर्ति एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ के समक्ष महत्वपूर्ण सुनवाई की गई। इस दौरान याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी राजेश शर्मा सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता सचिन पांडे ने पक्ष रखा और कहा कि याचिकाकर्ता उच्च श्रेणी शिक्षक बतौर पदस्थ हैं और 24 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के बावजूद उन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं लिया था और द्वितीय क्रमोन्नति के लाभ से भी वंचित कर दिया गया।सेवा पुस्तिका में कटौती का आदेश जारी करते हुए विधि विरुद्ध वेतन से राशि कटौती करने का भी आदेश जारी कर दिया।
वही दूसरे मामले में शिक्षा विभाग में असिस्टेंट ग्रेड के पद पर कार्यरत रणेश गौर की तरफ से अधिवक्ता राकेश सिंह ने याचिका में कहा कि उन्हें मूल विभाग में पदस्थापना नहीं देकर परेशान किया जा रहा है। गौर को सबसे पहले 31 अगस्त को 2021 को शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय से उसका तबादला विकासखंड शिक्षा अधिकारी गोटेगांव किया गया था और फिर हाईस्कूल भेज दिया गया। 1 माह बाद फिर 14 दिसंबर को उसे वापस विकासखंड शिक्षा अधिकारी और उसके बाद 13 जनवरी 2022 को पुन: शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय ट्रांसफर कर दिया गया।जबकी मूल विभाग ब्लॉक एजुकेशन आफिस है, ऐसे में उन्हें वही पदस्थापना दी जानी चाहिए।
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इस पर पहले मामले में हाईकोर्ट ने जिला शिक्षा अधिकारी, जबलपुर को आदेश दिया है कि दो महीने के अंदर क्रमोन्नति का लाभ प्रदान किया जाएगा और समय-सीमा में राहत नहीं दिए जाने पर 9 प्रतिशत ब्याज की दर से एरियर भी भुगतान किया जाए। वही दूसरे केस में मध्य प्रदेश सरकार से सवाल किया है कि बिना कोई कारण बताए स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यरत कर्मचारी का तबादला कैसे किया गया, इसके लिए कोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता को सरकार से निर्देश प्राप्त कर जवाब पेश करने को कहा है और अगली सुनवाई 1 हफ्ते बाद होगी।