MP में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, MPPSC की परीक्षा निरस्त

Amit Sengar
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जबलपुर,संदीप कुमार। एमपीएससी की प्ररंभिक परीक्षा में मध्यप्रदेश के छात्रों को अप्रत्यक्ष रूप से सौ फीसदी आरक्षण दिए जाने के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी,जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए न सिर्फ परीक्षा स्थगित कर दी है बल्कि लोक सेवा आयोग को नोटीस देकर जवाब मांगा है कि आखिर क्यों समय रहते पोर्टल अन्य राज्यो के छात्रों के लिए पोर्टल नही खोला गया।

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उत्तरप्रदेश निवासी शैलेन्द्र कुमार और एक अन्य छात्र की याचिका पर जस्टिस एस.ए धर्माधिकारी और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सुनवाई की गई,याचिकाकर्ता शैलेन्द्र कुमार के वकील आदित्य संघी ने बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने इंजीनियर पद पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किये थे कि एम.पी.पी.एस.सी ये भर्ती प्रकिया की परीक्षा आयोजित करेगी,और एमपीपीएससी की प्राथमिक परीक्षा में शामिल होने के लिए मध्य प्रदेश के रोजगार पोर्टल में जीवित पंजीयन होना अनिवार्य है। रोजगार पोर्टल के नियम अनुसार वही अभ्यर्थी पोर्टल पर रजिस्टर कर सकता है जो मध्य प्रदेश का निवासी हो, पोर्टल पर सिर्फ मध्यप्रदेश के जिलों के नाम ही अंकित था जिसके कारण मध्यप्रदेश के बाहर के अभ्यार्थी अपना नाम पोर्टल पर रजिस्टर नहीं कर सके।

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याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि पूर्व में एमपीपीएससी द्वारा आयोजित अन्य परीक्षाओं की प्रक्रिया और इस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए याचिका दायर की गयी थी, जिसकी सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने संशोधन के आदेश जारी किये थे जिससे बोला गया था कि मध्यप्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों के अभ्यर्थी भी परीक्षा में शामिल हो सकते है, युगलपीठ ने सुनवाई के बाद आज लोक सेवा आयोग को नोटिस जारी किया गया है वही आगामी दिनों तक के लिए परीक्षा को स्थागित कर दिया गया है।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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