Jabalpur News : मप्र हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने राज्य सरकार के एक फैसले को गलत मानते हुए उसे निरस्त करने के आदेश दिए हैं साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, मामला एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से जुड़ा हुआ है , कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जुर्माने की राशि संबंधित दोषी अधिकारी से वसूली जाये और 30 दिन के अन्तराल में याचिकाकर्ता को भुगतान की जाए।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का क्रमोन्नति आदेश किया था निरस्त
जानकारी के मुताबिक जबलपुर निवासी निवासी मुन्नी बाई बागडे ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी जिसपर न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ में सुनवाई हुई, याचिकाकर्ता की तरफ से पेश अधिवक्ता सचिन पांडे ने बताया कि उनकी मुवक्किल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है।
ये वजह बताकर शासन ने निरस्त की थी क्रमोन्नति
अधिवक्ता पांडे ने कोर्ट को बताया कि मुन्नी बाई आकस्मिक निधि पाने वाली कर्मचारी थी। शासन ने क्रमोन्नति के आधार पर उसका वेतन निर्धारण किया था लेकिन शासन ने पूर्वव्यापी तिथि से क्रमोन्नति वापस लेने का आदेश जारी किया। इसमें दलील दी गई कि कंटिंजेंसी कर्मियों को क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया जा सकता।
हाई कोर्ट ने शासन का आदेश निरस्त किया, 10 हजार का जुर्माना लगाया
कोर्ट ने इसके बाद मुन्नी बाई की क्रमोन्नति वापस लेने के शासन के आदेश को निरस्त कर दिया साथ ही शासन पर 10 हजर रुपये का जुर्माना भी लगाया, कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की ये राशि संबंधित दोषी अधिकारी से वसूली जाये और 30 दिन के अन्तराल में याचिकाकर्ता को भुगतान की जाए।